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कालिदास पर्याय कोश 2. दुम - [द्रुः शाखाऽस्त्यस्य - मः] वृक्ष ।
हैमं तालदुमवनमभूदन तस्यैव राज्ञः। पू० मे० 35 यहीं उस राजा का बनाया हुआ ताड़ के पेड़ों का सुनहरा उपवन था। धुन्वन्कल्पदुमकिसलयान्यंशुकानीव वातैः। पू० मे० 66 फिर जाकर कल्पदुम के कोमल पत्तों को महीन कपड़े की भाँति हिला देना। भित्त्वा सद्यः किसलयपुटान्देवदारु दुमाणां। उ० मे० 50
देवदार वृक्ष के कोमल पत्तों को अपने झोंको से तत्काल तोड़ कर। 3. पादप - [पद् + घञ् + पः] वृक्ष।
यत्रोन्मत्तभ्रमर मुखराः पादपा नित्यपुष्पा। उ० मे० 3 सदा फूलने वाले ऐसे बहुत से वृक्ष मिलेंगे, जिन पर मतवाले भौरे गुनगुनाते
रहते हैं। 4. रुह -[रुह् + क्विप्] उगा हुआ या उत्पन्न, वृक्ष।
मन्दाराणामनुतटरुहां छायया वारितोष्णः। उ० मे० 6 तट पर खड़े हुए कल्पवृक्षों की छाया में अपनी तपन मिटती हुई।
तीर (किनारा) 1. तट - [तट् + अच्] किनारा, कूल, उतार, ढाल।
पाण्डुच्छाया तटरुहतरुभ्रंशिभिर्जीर्ण पर्णैः। पू० मे० 31 तीर के वृक्षों के पीले पत्ते झड़-झड़ कर गिरने से उसका रंग पीला पड़ गया होगा। मन्दाराणामनुतटरुहां छायया वारितोष्णः। उ० मे० 6
तट पर खड़े हुए कल्पवृक्षों की छाया में अपनी तपन मियती हुई। 2. तीर - [तीर् + अच्] तट, किनारा, नदी तीर।
तीरोपान्तस्तनितसुभगं पास्यसि स्वादु । पू० मे० 26 उसके तीर पर गर्जन करके अच्छा मीठ जल पीओगे, तब। विश्रान्तः सन्व्रज वननदीतीर जातानि सिञ्चन्उद्यानानां नवजल कणैर्वृथिका जालकानि। पू० मे० 28
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