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कालिदास पर्याय कोश तत्रागारं धनपतिगृहानुत्तरेणास्मदीयं। उ० मे० 15 वहीं कुबेर के भवन से उत्तर की ओर मेरा। स्थित्वा स्थित्वा धनपतिपुरीं वासरैः कैश्चिदाप्।
ठहरते-ठहरते थोड़े ही दिनों में कुबेर की राजधानी, अलका में पहुंच गया। 2. धनेश - [धन + अच् + ईशः] कुबेर का विशेषण, कुबेर।
श्रुत्वा वार्ता जलदकथितां तां धनेशोऽपि सद्यः। उ० मे0 61
जब कुबेर ने यह बात सुनी कि बादल ने यक्ष की स्त्री को ऐसा संदेश दिया है। 3. यक्षेश्वर - [यक्ष्यते - यक्ष् + (कर्मणि) घञ्] कुबेर।
गन्तव्या ते वसतिरलका नाम यक्षेश्वराणां, बाह्ययोद्यान स्थित हरशिरश्चन्द्रिका धौत हा। पू० मे० 7 तुम्हें कुबेर की अलका नाम की उस बस्ती को जाना होगा, जहाँ के भवनों में बस्ती के बाहर वाले उद्यान में बनी हुई शिवजी की मूर्ति के सिर पर जड़ी हुई चन्द्रिका से सदा उजाला रहता है।
धनु 1. चाप - [चप् + अण्] धनुष।
विद्युत्वन्तः ललितवनिताः सेन्द्रचापं सचित्राः। उ० मे० 1 यदि तुम्हारे साथ बिजली है तो उन भवनों में चटकीली नारियाँ हैं, यदि तुम्हारे पास इन्द्रधनुष है तो उन भवनों में भी रंग-बिरंगे चित्र लटके हुए हैं। प्रायश्चापं न वहति भयान्मन्मथः षट्पदज्यम्। उ० मे० 14 डर के मारे कामदेव अपना भौंरो की डोरी वाला धनुष वहाँ नहीं चढ़ाता। धनु - [धन् + ऊ] धनुष, कमान। रत्तच्छायाव्यतिकर इव प्रेक्ष्यमेतत्पुरस्ताद्वद्वाल्मीकाग्रात्प्रभवति धनुः खण्डमाखण्डलस्य। पू० मे० 15 यहाँ सामने बाँबी के ऊपर उठा हुआ इन्द्र धनुष का एक टुकड़ा ऐसा सुन्दर दिखाई पड़ रहा है, मानो बहुत से रत्नों की चमक, एक साथ यहाँ लाकर इकट्ठी कर दी गई हो।
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