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मेघदूतम्
जब तुम देवगिरि पहाड़ की ओर जाओगे, तब वहाँ धीरे-धीरे बहता हुआ वह शीतल पवन तुम्हारी सेवा करेगा, जिसके चलने से वन के गूलर पकने लग गए होंगे। पर्वत - [पर्व + अचच्] पहाड़, गिरि। उत्पश्यामि दुतमपि सखे मत्प्रियार्थं यियासोः कालक्षेपं ककुभसुरभौ पर्वते पर्वते ते। पू० मे० 24 तुम मेरे काम के लिए बिना रुके झटपट जाना चाहोगे, फिर भी मैं समझाता हूँ, कि कुटज के फूलों से लदे हुए उन सुगंधित पहाड़ों पर तुम्हें ठहरते हुए ही जाना
होगा। 5. शैल - [शिला + अण्] पर्वत, पहाड़।
आपृच्छस्व प्रियसखममुं तुङ्गमालिङ्गय शैलं वन्द्यैः पुसां रघुपतिपदैरङ्कितं मेखलासु। पू० मे 12 इसकी ढालों पर भगवान रामचन्द्र जी के उन पैरों की छाप जहाँ-तहाँ पड़ी है, जिन्हें सारा संसार पूजता है। अपने प्यारे मित्र पहाड़ की चोटी से जी भर गले मिलकर इससे बिदा ले लो। हित्वा तस्मिन्भुजगवलयं शंभुना दत्तहस्ता क्रीडाशैले यदि च विचरेत्पाद चारेण गौरी। पू० मे० 64 उस कैलास पर्वत पर, जब पार्वती जी उन महादेव जी के हाथ में हाथ डाले टहल रही हों, जिन्होंने पार्वती जी के डर से अपने साँपों के कड़े हाथ से उतार दिए होंगे। पत्रश्यामा दिनकरहयस्पर्धिनो यत्र वाहाः शैलोदग्रास्त्वमिव करिणो वृष्टिमन्तः प्रभेदात्। उ० मे० 13 पत्ते के समान साँवले वहाँ के घोड़े अपने रंग और अपनी चाल में सूर्य के घोड़ों को कुछ भी नहीं समझते। पहाड़ जैसे ऊँचे-ऊँचे डील-डौल वाले वहाँ के हाथी वैसे ही मद बरसाते हैं, जैसे तुम पानी बरसाते हो। तस्यास्तीरे रचित शिखरः पेशलैरिन्द्रनीलैः क्रीडाशैलः कनककदली वेष्टन प्रेक्षणीयः। उ० मे017
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