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मेघदूतम्
681 होने से पहले ही, अपने बचे हुए पुण्य के बदले, स्वर्ग का एक चमकीला भाग लेकर उसे अपने साथ धरती पर उतार लाए हों। हस्तन्यस्तं मुखमसकलव्यक्ति लम्बालकत्वादिन्दोर्दैन्यं त्वदनुसरण क्लिष्टकान्तेबिभर्ति। उ० मे० 24 चिंता के कारण गालों पर हाथ धरने से और बालों के मुंह पर आ जाने से उसका अधूरा दिखाई देने वाला मुँह मेघ से ढके हुए चंद्रमा के समान धुंधला
और उदास दिखाई दे रहा होगा। 2. तेज - [तिज् + असुन्] चमक, दीप्ति, प्रभा, कांति, सौंदर्य, शौर्य।
रक्षा हेतोर्नवशशिभृता वासवीनां चमूनामत्यादित्यं हुतवह मुखे संभृतं तद्धि तेजः। पू० मे० 47 इंद्र की सेनाओं को बचाने के लिये शिवजी ने सूर्य से बढ़कर जलता हुआ अपना जो तेज अग्नि में डालकर इकट्ठा किया था, उसी तेज से स्कन्द का जन्म
हुआ है। 3. द्युति - [द्युत् + इन] दीप्ति, उजाला, कांति, सौंदर्य।
छन्नोपान्तः परिणतफलद्योतिभिः काननादैस्त्वय्यारूढे शिखरमचलः स्निग्धवेणीसवर्णे। पू० मे० 18 पके हुए फलों से लदे हुए आम के वृक्षों से घिरा हुआ पर्वत पीला सा हो गया होगा। उसकी चोटी पर जब तुम कोमल बालों के जूड़े के समान साँवला रंग
लेकर चढ़ोगे। 4. प्रभा - [प्र + भा + अ + टाप्] प्रकाश, दीप्ति, कांति, चमक।
तामुत्तीर्य व्रज परिचितभूलताविभ्रमाणां पक्ष्मोत्क्षेपादुपरिविलसत्कृष्णाशार प्रभाणाम्। पू० मे० 51 उसे पार करके अपना साँवला रूप दिखाकर वहाँ की उन रमणियों को रिझाना
जिनकी, कटीली काली-काली भौंहें। 5. शोभा - [शुभ् + अ + यप्] कांति, चमक, सौंदर्य, लालित्य, चारुता,
लावण्य, दीप्ति। वक्ष्यस्यध्वश्रमविनयनेतस्यशृङ्गे निषण्णः शोभा शुभ्रत्रिनयन वृषोत्खात पङ्कोपमेयाम्। पू० मे० 56
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