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कालिदास पर्याय कोश गण्ड स्वेदापनयनरुजाक्लान्तकर्णोत्पलानां छायादानात्क्षणपरिचितः पुष्पलावीमुखानम्। पू० मे० 28 फूल उतारने वाली उन मालिनियों के मुंह पर छाया करके थोड़ी सी जान-पहचान बढ़ाते हुए आगे बढ़ जाना, जिनके कानों में लटके हुए कमल की पंखुड़ियों के
कनफूल उनके गालों पर बहते हुए पसीने से लग-लगकर मैले हो गए होंगे। 3. कमल [कं जलमलति भूषयति - कम् + अल् + अच्] कमल, पंकज,
जलज। दीर्घा कुर्वन्पटु मदकलं कूजितं सारसानां प्रत्यूषेषु स्फुटित कमलामोद मैत्री कषायः। पू० मे0 33 मतवाले सारसों की मीठी बोली को दूर-दूर तक फैलाता हुआ, तड़के खिले हुए कमलों की गंध में बसा हुआ वायु। प्रालेयास्त्रं कमलवदनात्सोऽपि हर्तुं नलिन्याः प्रत्यावृत्तस्त्वयि कररुधि स्यादनल्पाभ्यसूयः। पू० मे० 43 वे भी उस सयम अपनी प्यारी कमलिनी के मुख-कमल पर पड़ी हुई ओस की बूंदे पोंछने के लिए आ गए होंगे। तुम उनके हाथ न रोक बैठना, नहीं तो बुरा मान जाएंगे। राजान्यानां सितशरशतैर्यत्र गाण्डीवधन्वा धारापातैस्त्वमिव कमलान्यभ्य-वर्षन्मुखानि। पू० मे0 52 गाण्डीवधारी अर्जुन ने अपने शत्रु राजाओं के मुखों पर उसी प्रकार अनगिनत बाण बरसाए थे, जैसे कमलों पर तुम अपनी जलधारा बरसाते हो। हस्ते लीलाकमलमलके बालकुन्दानुविद्धं नीतालोध्रप्रसवरजसा पाण्डुतामानने श्रीः। उ० मे० 2 हाथों में कमल के आभूषण पहनती हैं, अपनी चोटियों में नये खिले हुए कुन्द के फूल गूंथती हैं, अपने मुँहों को लोध के फूलों का पराग मलकर गोरा करती हैं। गत्युत्कम्पादलकपतितैर्यत्र मन्दारपुष्पैः पत्रच्छेदैः कनककमलैः कर्णविभ्रंशिभिश्च। उ० मे० 11
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