________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www. kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
586
कालिदास पर्याय कोश 5. दिग्नाग :-हाथी।
व्योम गङ्गाप्रवाहेषु दिङ्नागमद गन्धिषु। 6/
उस आकाश गंगा के जल में दिग्गजों के मद की सुगन्ध आया करती है। 6. दिग्वारण :-हाथी।
मन्दाकिन्याः पयः शेषं दिग्वारणमदविलम्। 2/44 मन्दाकिनी में आजकल केवल दिग्गजों के मद से गैंदला जल भर दिखाई देता
7. द्विपा :-हाथी।
पदं तुषारसुति धौते रक्तं यस्मिन्नदृष्ट्वापिहतद्विपानाम्। 1/6 यहाँ के सिंह जब हाथियों को मारकर चले जाते हैं, तब रक्त से लाल उनके पंजों
की पड़ी हुई छाप हिम की धारा से धुल जाती है। 8. द्विरद :-हाथी।
लक्ष्यतेद्विरद भोग दूषितं सप्रसादमिव मानसं सरः। 8/64 मानो हाथियों की जल-क्रीड़ा से गंदला मानसरोवर निर्मल हो चला हो। 9. नागेन्द्र :-[नाग+अण+इन्द्रः] भव्य या श्रेष्ठ हाथी।
नागेन्द्रहस्तास्त्वचि कर्कशत्वादेकान्तशैव्यात्कदली विशेषाः। 1/36 पार्वती जी की उन दोनों मोटी जांघों की उपमा दो ही वस्तुओं से दी जा सकती थी-एक तो हाथी की सूंड से और दूसरे केले के खंभे से, पर हाथी की सैंड
कड़ी होती है, और केले का खम्भा बड़ा ठंडा होता है। 10. हस्तिन् :-[हस्तः शुडादण्डोऽस्त्यस्य इनि] सँडवाला हाथी।
नागेन्द्रहस्तास्त्वचि कर्कशत्वादेकान्तशैव्यात्कदली विशेषाः। 1/36 पार्वती जी की उन दोनों मोटी जांघों की उपमा दो ही वस्तुओं से दी जा सकती थी-एक तो हाथी की सूंड से और दूसरे केले के खंभे पर हाथी की सैंड कड़ी होती है, और केले का खम्भा बड़ा ठंडा होता है।
कर्ण
1. कर्ण :-[कर्ण्यते आकर्ण्यते अनेन-कर्ण+अप्] कान।
चकार कर्णच्युत पल्लवेन मूर्धा प्रणामं वृषभध्वजाय। 3/62 शिवजी को प्रणाम करने के लिए ज्यों ही अपना सिर झुकाया, त्यों ही कान पर धरे हुए पत्ते पृथ्वी पर गिर पड़े।
For Private And Personal Use Only