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कालिदास पर्याय कं.श
2. दद् : - देना, प्रदान करना ।
ददौ रसात्पंकजरेणुसुगन्धिम् गजाय गण्डूषजलं करेणुः 1 3 / 37 हथिनी बड़े प्रेम से कमल के पराग में बसा हुआ सुगन्धित जल अपनी सूँड से निकालकर अपने हाथी को पिलाने लगी ।
चन्द्रकला
1. चन्द्रकला :-[चन्द्रकणिच् + रक् + कला ] चन्द्रमा की रेखा । पत्युः शिरश्चन्द्रकलामनेन स्पृशेति सखा परिहासपूर्वम् । 7/19
तब सखी ने ठिठोली करते हुए आशीर्वाद दिया कि भगवान् करे तुम इन पैरों से अपने पति की सिर की चन्द्रकला को छुओ ।
2. शशांक लेखा :- चन्द्रमा की रेखा, चन्द्रकला ।
शशांक लेखा मिव पश्यतो दिवा सचेतसः कस्य मनोनदूयते । 5/48 ऐसा कौन जीता-जागता पुरुष होगा जिसका जी, इस शरीर को देखकर रो न पड़े, जो दिन के चन्द्रमा की लेखा के समान उदास दिखाई पड़ रहा है । करेण भानोर्बहुलावसाने संधुक्ष्य माणेव शशांक रेखा। 7/8 जैसे शुक्ल पक्ष में सूर्य की किरण पाकर चन्द्रमा चमकने लगता है।
चर
1. चर :- [वि०] [ चर्+अच्] हिलने-डुलने वाला, चलने वाला, जंगम, सजीव । चराचराणां भूतानां कुक्षिराधारतां गतः । 6/67
चर और अचर सब आपकी गोद से ही सहारा पाते हैं।
यावन्त्येतानि भूतानि स्थावराणि चराणि च। 6 / 80 ये भी संसार के चर और अचर सब प्राणियों की ।
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2. जंगम : - [ गम् + यङ् +अच्, धातोर्द्वित्वं यडनेलुक् च] चर, सजीव । शरीरिणां स्थावर जंगमानां सुखाय तज्जन्मदिनं बभूव । 1/23
उनके जन्म के दिन चर-अचर सभी उनके जन्म से प्रसन्न हो उठे थे।
जंगमं प्रैष्यभावे वः स्थावरंचरणांकितम् । 6/58
क्योंकि मेरे चल शरीर को तो आपने अपना दास बना लिया है और मेरे अचल शरीर पर आपने अपने पवित्र चरण धरे हैं।