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कुमारसंभव
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इतने में ही शिवजी मुस्कुराकर आँखें खोल देते और ये चट फुर्ती से अपनी
आँखें मींच लेतीं, मानो बिजली की चकाचौंध से आँखें मिच गई हों। 3. शतहद :-बिजली।
बलाकिनी नीलोपयोदराजी दूरं पुरः क्षिप्तशतहदेव। 7/39 मानो बगुलों से भरी हुई और दूर तक चमकती हुई बिजली वाले नीले बादलों की घटा चली आ रही हो।
तरु
1. तरु :-[तृ+उन्] वृक्ष ।
लता वधूभ्यस्तरवोऽप्यवापुर्विनम्र शाखा भुजबन्धनानि। 3/39 वृक्ष भी अपनी झुकी हुई डालियों को फैला फैलाकर उन लताओं से लिपटने
लगे।
2. दुम :-[दुः शाखाऽस्त्यस्य - मः] वृक्ष, पारिजात वृक्ष।
कपोल कण्डू: करिभिर्विनेतुं विघट्टितानां सरलदुमाणाम्। 1/9 जब यहाँ के हाथी अपनी कनपटी खुजलाने के लिए देवदारु के पेड़ों से माथा रगड़ते हैं। अपविद्धगदो बाहुर्भग्नशाख इव दुमः। 2/22 कुबेर का यह बाहु भी गदा के बिना ऐसा क्यों लग रहा है, जैसे कटी हुई शाखा वाला वृक्ष का दूँठ हो। अभिज्ञाश्छेदपातानां क्रियन्ते नन्दनदुमाः।। 2/41 नन्दनवन के जिन वृक्षों के कोमल पत्तों को, बड़ी कोमलता के साथ तोड़ा करती थीं। मृगाः प्रियाल द्रुममंजरीणां रजः कर्णेविजितदृष्टिपाताः। 3/31 आँखों में प्रियाल वृक्ष के फूलों के पराग के उड़-उड़ कर पड़ने से जो मत वाले हरिण भली-भाँति नहीं देख पा रहे थे। विरोधिसत्त्वोज्झितपूर्वमत्सरं दुमैभीष्टप्रसवार्चितातिथिः। 5/17 वहाँ रहने वाले सब पशु-पक्षियों ने अपना पिछला आपस का बैर छोड़ दिया था; वहाँ के वृक्ष इतने फल-फूल से लद गए थे, कि आए हुए अतिथि जो चाहते थे, वहीं उन्हें मिल जाता था।
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