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कालिदास पर्याय कोश इस रात के समय सारा संसार इस प्रकार अँधेरे में घिर गया है, जैसे गर्भ की
झिल्ली में लिपटा हुआ बालक हो। 4. विश्व :-[विश्व] संपूर्ण, सृष्टि, समस्त संसार।
अतश्चराचरं विश्वं प्रभवस्तस्य गीयसे। 2/5 इसीलिए आपको ही सब संसार का उत्पन्न करने वाला बताते हैं। इति व्याहृत्य विवुधान्विश्वयोनिस्तरोदधे। 2/62 संसार को उत्पन्न करने वाले ब्रह्माजी इतना कहकर आँखों से ओझल हो गए। येनेदं धियते विश्वं धुयनिमिवाध्वनि। 6/76 संसार को इस प्रकार ठीक से चलाने वाले हैं, जैसे घोड़े मार्ग में रथ की लीक में बंधे रहते हैं। सते दुहितरं साक्षात्साक्षी विश्वस्य कर्मणाम्। 6/78 उन्हीं संसार भर के कामों को देखने वाले और वर देने वाले शंकरजी ने अपने
लिए आपकी पुत्री मांगी है। 5. सर्ग :-[सृज+घञ्] सृष्टि, प्रकृति, विश्व।
प्रयस्थिति सर्गणामेकः कारणतां गतः। 2/6 आप ही संसार का नाश, पालन और उत्पादन करते हैं। प्रसूति भाजः सर्गस्य तावेव पितरौ स्मृतौ। 2/7
वे ही दोनों रूप सारे संसार के माता पिता कहे जाते हैं। 6. सृष्टि :-[स्त्री०] [सृज्+क्तिन्] रचना, संसार की रचना, प्रकृति।
नमस्त्रिमूर्तये तुभ्यं प्राक्सृष्टे: केवलात्मने। 2/4 हे भगवान संसार को रचने के पहले एक ही रूप में रहने वाले व रचना के समय तीन रूप के बन जाने वाले आपको प्रणाम है।
जननी
1. जननी :-[जन्+विच्+अनि+ङीप्] माता, दया, करुणा।
नीलकण्ठ परिभुक्तयौवनं तां विलोक्य जननी समाश्वसत्। 8/12 माता मेना को यह देखकर बड़ा संतोष हुआ, कि महादेवजी हमारी कन्या के
यौवन का उपभोग कर रहे हैं। 2. माता :-[मान् पूजायां तृच् न लोपः] माता, माँ।
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