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कुमारसंभव
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करिभिः
1. करिभि :- [कर+इति] हाथी
कपोल कण्डूः करिभिर्विनेतुं विघट्टितानां सरल दुमाणाम्। 1/9 जब यहाँ के हाथी अपनी कनपटी खुजलाने के लिए देवदारु के पेड़ों से माथा
रगड़ते हैं। 2. कुञ्जर :-[कुञ्जो हस्तिहनः सोऽस्यास्ति-कुञ्ज+र] हाथी।
न्यास्ताक्षरा धातुरसेन यत्र भूर्जत्वचः कुञ्जर बिन्दुशोणः। 1/7 इस पर्वत पर उत्पन्न होने वाले जिन भोज-पत्रों पर लिखे हुए अक्षर हाथी की
सैंड पर बनी हुई लाल बुंदकियों जैसे दिखाई पड़ते हैं। 3. गज :-[गज्+अच्] हाथी।
अभ्यस्यन्ति तटाघातं निर्नितैरावता गजाः। 2/50 ऐरावत को भी हरा देने वाले उसके हाथी अपना टीले ढाहने का खिलवाड़ किया करते हैं। ददौ रसात्पङ्कजरेणुसुगन्धिं गजाय गण्डूषजलं करेणुः। 3/37 हथिनी बड़े प्रेम से कमल के पराग में बसा हुआ सुगन्धित जल अपनी सूंड से निकालकर अपने हाथी को पिलाने लगी। वधू दुकूलं कलहंसलक्षणं गजाणिनं शोणितं बिन्दुवर्षिच । 5/67 कहाँ तो हँस छपी हुईं चुंदरी ओढ़े हुए आप और कहाँ रक्त की बूंद टपकाती हुई महादेवी जी के कन्धे पर पड़ी हुई हाथी की खाल। उपान्त भागेषु च रोचनाको गजाजिनस्यैव दुकूलभावः। 7/32 हाथी का चर्म ही ऐसा रेशमी वस्त्र बन गया, जिसके आँचलों पर गोरोचन हंस के जोड़े छपे हुए थे। तमृद्धिमद्वन्धुजनाधिरूद्वैर्वृन्दैर्गजानां गिरिचक्रवर्ती। 7/52 महादेवजी के आने से पर्वतराज हिमालय बड़े प्रसन्न हुए और अपने उन धनी
कुटुम्बियों को हाथी पर चढ़ा-चढ़ाकर। 4. दन्तिन :-पुं० [अतिशयितौ दन्तौ यस्य-दन्त+वलच्, दीर्घः, दन्त इनि] हाथी।
भक्तिभिर्बहुविधाभिरर्पिता भाति भूतिररिव मत्त हस्तिनः। 8/69 इसलिए यह ऐसा दिखाई पड़ रहा है, मानो किसी मतवाले हाथी पर अनेक प्रकार की चित्रकारी कर दी गई हो।
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