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कालिदास पर्याय कोश
काञ्ची
1. काञ्ची :-[काञ्च+इन्=काचि+ ङीष्] मेखला, करधनी, नितम्ब।
एतावतानन्चनुमेय शोभि काञ्चीगुणस्थानमनिन्दितायाः। 1/37 उन अत्यंत सुन्दर अंगों वाली के नितम्ब कितने सुन्दर रहे होंगे। यह तो इसी बात से आँका जा सकता है। स्रस्तां नितम्बादवलम्बमाना पुनः पुनः केसरदामकाञ्चीम्। 3/35 उनकी कमर में पड़ी हुई केसर के फूलों की तगड़ी जब-जब नितम्ब से नीचे खिसक आती थी, तब-तब वे उसे अपने हाथ से पकड़कर ऊपर सरका लेती
थीं। 2. मेखला :-[मीयते, प्रक्षिप्यते कायमध्यभागे-मी खल+टाप, गुण:] तगड़ी,
करधनी। स्मरसि स्मर मेखला गुणैरुत गोत्रस्खलितेषु बन्धनम्। 4/8 हे कामदेव ! पहले जब भूल से तुमने अपनी किसी दूसरी प्यारी का नाम ले डाला था, उस पर मैंने तुम्हें अपनी तगड़ी से बाँध दिया था, क्या वही स्मरण करके तो तुम मुझ से रूठे नहीं बैठे हो। सा व्यगाहत तरंगिणीमुमा मीनपंक्तिपुनरुक्तमेखला। 8/26 कभी पार्वतीजी उस आकाशगंगा में जल विहार करने लगतीं, जहाँ उनकी कमर के चारों ओर खेलने वाली मछलियाँ ऐसी लगती थीं, मानो उन्होंने दूसरी करधनी पहन ली हो। तस्य तच्छिदुरमेखला गुणं पार्वतीरतममून्नतृप्तये। 8/83 पार्वतीजी की करधनी भी टूट गई, फिर भी पार्वतीजी के साथ संभोग करके शंकरजी का जी नहीं भरा। तेन भिन्नविषमोत्तरच्छदं मध्यपिण्डित सूत्र मेखलम्। 8/89 जिस पलंग पर वे सोए थे, उसकी चादर में सलवटें पड़ गई थीं, बिना किसी
डोरीवाली टूटी करधनी उस पर इकट्ठी हुई पड़ी थी। 3. रसना:-[रश्+युच्, रशादेशः] कटिबंध, कमरबंद, करधनी।
अकारि तत्पूर्व निबद्धया तया सरागमस्या रसनागुणास्पदम्। 5/10 पहले-पहल तगड़ी पहनने से उनकी सारी कमर लाल पड़ गई थी।
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