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कालिदास पर्याय कोश
कर (ii)
1. कर :-[करोति, कीर्यते अनेन इति, कृ+अप्] किरण, रश्मि।
करेण मानोर्बहुलावसाने संधुक्ष्यमाणेव शशाङ्करेखा। 7/8
जैसे शुक्ल पक्ष में सूर्य की किरण पाकर चन्द्रमा चमकने लगता है। 2. मयूख :- [मा+ऊख, मयादेशः] प्रकाश की किरण, रश्मि, अंशु।
पद्मानि यस्याग्रसरोरुहाणि प्रबोधय मूर्ध्वमुखैर्मयुखैः। 1/16 उनके चुनने से जो कमल बच रहते हैं, उन्हें नीचे उदय होने वाला सूर्य अपनी किरणें ऊँची करके खिलाया करता है। नेत्रैरविस्पन्दितपक्ष्ममालैर्लक्ष्यीकृत घ्राणमधोमयूखैः। 3/47 भौंहें तानकर कुछ-कुछ प्रकाश देने वाली, निश्चल, उग्र तारों वाली और अपनी किरणें नीचे डाकने वाली आँखों से। विशोषितां भानुमतो मयूखैर्मन्दाकिनी पुष्करबीज मालाम्। 3/65
धूप में सुखाये हुए मन्दाकिनी के कमल के बीजों की माला। 3. रश्मि :-[अश्+मि-धातो रुट, रश+मि वा] किरण, प्रकाशकिरण, डोरी।
पश्य पार्वतिनवेन्दुरश्मिभिर्भिन्नसान्द्रतिमिरं नभस्तलम्। 8/64 हे पार्वती ! उठे हुए चन्द्रमा की किरणों से घना अँधेरा मिट जाने पर आकाश ऐसा जान पड़ रहा है।
करण
1. करण :-[कृ+ल्युट्] करना, कारण, कृत्य कार्य, दिन का एक भाग।
उपमानमभूद्विलासिनां करणं यत्तव कान्तिमत्तया। 4/5 हे प्यारे ! आज तक विलासियों के शरीर की तुलना तुम्हारे जिस सुन्दर शरीर से
की जाती थी। 2. हेतु :-[हि+तुन्] निमित्त, कारण, उद्देश्य, प्रयोजन।
हेतुं स्वचेतोविकृतेर्दिदृक्षुर्दिशामुपान्तेषु ससर्ज दृष्टिम्। 3/69 यह देखने के लिए चारों ओर दृष्टि दौड़ाई कि मेरे मन में यह विकार लाया कौन।
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