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कुमारसंभव
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प्रासादशृंगाणि दिवापि कुर्वज्योत्स्नाभिषेक द्विगुणद्युतीनि। 7/63 उन चूने से पुते हुए उजले भवनों व कंगूरों को अपने सिर के चन्द्रमा की चाँदनी
से और भी अधिक चमकाते हुए। 4. वासर :-पुं०, क्ली० [सुखं वास यति जनान् वास्+ अर] दिन, दिवस।
वासराणि कतिचित्कथंचन स्थाणुना रतमकारि चानया। 8/13 कुछ दिनों तक तो महादेव जी ज्यों-त्यों करके पार्वती जी से संभोग करते रहे।
आकाश
1. अंतरिक्ष :-[अन्तः स्वर्गपृथिव्योर्मध्ये ईश्यते-इति-अन्तर+ईक्ष+घञ् पृषो, हस्वः
वा] व्योम, आकाश। मुखैः प्रभामण्डल रेणु गौरेः पद्माकर चकुरिवान्तरीक्षम्। 7/38 उस समय उनके मुँह आकाश में ऐसे लग रहे थे, मानो किसी तालाब में बहुत
से कमल खिल गए हों। 2. आकाश :-[आ+का+घञ्] आकाश, स्वर्ग, गगन।
इति देहविमुक्तये स्थितां रतिमाकाश भवा सरस्वती । 4/39 अचानक सुनाई पड़ने वाली आकाशवाणी ने भी प्राण छोड़ने को उतारू रति पर यह कृपा की वाणी बरसा दी। ते चाकाश मसिश्याममुत्पत्य परमर्षयः। 6/36 वे ऋषि कृपाण के समान नीले आकाश में उड़ते हुए औषधिप्रस्थ नगर में पहुँच
गए। 3. ख :-[खर्व+ड] आकाश, स्वर्ग, शून्य।
क्रोधं प्रभो संहर संहरेति यावद् गिरः खेमरूतां चरन्ति। 3/72 यह देखते ही एक साथ सब देवता आकाश में चिल्ला उठे-हैं, हैं रोकिये, रोकिये अपने क्रोध को प्रभु। सिद्धं चास्मै निवेद्यार्थ तद्विसृष्टाः खमुद्ययुः। 6/94 सब ठीक हो गया है और फिर उनसे आज्ञा लेकर, वे आकाश में उड़ गए। खे खेलगामी तमुवाह बाहः सशब्द चामीकर किंकिणीकः। 7/49 बड़ी-मीठी चाल से चलने वाला और अपने गले में सोने की छोटी-छोटी घंटियों को टनटनाता हुआ, वह बैल।
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