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कालिदास पर्याय कोश हे पार्वती ! उठे हुए चन्द्रमा की किरणों से घना अँधेरा मिट जाने के पर आकाश
ऐसा जान पड़ रहा है। 2. उडुपति :-[उड्+कु+पतिः] चन्द्रमा।
अयचितोपस्थितमम्बु केवलं रसात्कस्योडुपतेश्च रश्मयः। 5/22 फिर वर्षा के दिनों में वे एक तो बिन माँगे अपने आप बरसे जल को पीकर और
दूसरे अमृत से भरी चन्द्रमा की किरणों को पीकर ही रह जाती। 3. औषधिपति :-चन्द्रमा।
शक्यमोषधिपतेर्नवोदयाः कर्णपूररचनाकृते तव। 8/62 चन्द्रमा की निखरती हुई नई किरणें, नये और कोमल जौ के अंकुर के समान
कोमल हैं। 4. औषधिअधिप :-चन्द्रमा।
अथौषधीनामधिपस्य वृद्धौतिथौ च जामित्रगुणान्वितायाम्। 7/1 तीन दिन पीछे हिमालय ने लग्न से सातवें घर में पड़ी हुई शुक्ल पक्ष की
शुभतिथि को अपने भाई बन्धुओं को बुलाकर। 5. चन्द्र :- [चन्द्र+णिच् रक्] चन्द्रमा।
चन्द्रं गता पद्मगुणान्न भुंक्ते पद्माश्रिता चान्द्रमसीमभिख्याम्। 1/43 राज तो जब वे चन्द्रमा में पहुँचती थीं, तब उन्हें कमल का आनन्द मिल जाता था और जब वे दिन में कमल में बसती थीं, तब रात के चन्द्रमा का आनन्द उन्हें नहीं मिल पाता था। गिरिशमुपचार प्रत्यहं सा सुकेशी नियमित परिखेदा तच्छिरश्चन्द्र पादैः।।
1/60 सुन्दर बालों वाली पार्वती बिना थकावट माने महादेवी की सेवा किया करती थी, क्योंकि महादेवजी के माथे पर बैठे हुए चन्द्रमा की ठण्डी किरणें पार्वती जी की थकान सदा मिटाती रहती थीं। हरस्तु किंचित्परिलुप्तधैर्यश्चन्द्रोदयारम्भ इवाम्बुराशिः। 3/67 जैसे चन्द्रमा के निकलने पर समुद्र में ज्वार आ जाता है, वैसे ही पार्वती जी को देखकर महादेव जी के हृदय में भी कुछ हलचल सी होने लगी। वद प्रदोष स्फुट चन्द्रतारका विभावरी यद्यरुणाय कल्पते। 5/44 बताइए भला बढ़ती हुई रात की सजावट खिले हुए चन्द्रमा और तारों से होती है या सबेरे के सूर्य की लाली से।
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