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कुमारसंभव
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तथेतिशेषामिव भर्तुराज्ञामादाय मूर्ध्ना मदनः प्रतस्थे । 3/22
कामदेव बोला- जैसी आज्ञा । जैसे कोई उपहार में दी हुई माला लेकर सिर पर चढ़ा लेता है, वैसे ही कामदेव ने इन्द्र की आज्ञा सिर चढ़ा ली।
आतप
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3. नियोग : - [ नि+युज्+घञ् ] आज्ञा, आदेश ।
गुरोर्नियोगाच्च नगेन्द्रकन्या स्थाणुं तपस्यन्तमधिपत्यकायाम्। 3/17 पार्वती जी अपने पिता की आज्ञा से हिमालय पहाड़ पर तप करते हुए, शंकर जी की सेवा कर रही हैं ।
1. आतप : - [ आ + तप्+घञ् ] गर्मी,
धूप ।
हीयमानमहरत्यातपं पीवरोरु पिवतीव बर्हिणः । 8/36
यहाँ बैठा हुआ सांझ ही सब धूप पी रहा हो और उसी से दिन ढलता जा रहा हो। पश्य धातु शिखरेषु भानुना संविभक्त मिव सांधयमातपम्। 8/46 रंगीन धातु वाली हिमालय की चोटियों को देखने से ऐसा जान पड़ रहा है, कि अस्त होते सूर्य ने अपनी लाल धूप इन सबको बाँट दी है।
2. धूप : - [ धूप् + अच्] गर्मी ।
धूपोष्मणा त्याजितमार्द्र भावं केशान्त मन्तः कुसुमं तदीयम् । 7/14 किसी ने तो अगर-चन्दन के धुएँ से उनके बाल सुखाकर बालों मे फूल गूँथे ।
आत्मजा
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1. आत्मजाः - [ अत् मनिण्+जा ] पुत्री ।
सोऽनुमान्य हिमवन्तमात्मभूरात्मजा विरह दुःख खेदितम् । 8 / 21
तब उन्होंने हिमालय से जाने की आज्ञा माँगी। कन्या को अपने से अलग करने में हिमालय को दुःख तो बहुत हुआ, पर उसने बिदा दे दी।
2. कन्या : - [ कन्+ यक्+टाप ] पुत्री ।
स मानसीं मेरूसखः पितॄणां कन्यां कुलस्य स्थितये स्थितिज्ञः । 1/18 सुमेरू के मित्र और मर्यादा जानने वाले हिमालय ने अपना वंश चलाने के लिए मेना नाम की उस कन्या से शास्त्र के अनुसार विवाह किया। अथावमानेन पितुः प्रयुक्ता दक्षस्य कन्या भूतपूर्व पत्नी । 1/21