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कालिदास पर्याय कोश 2. चूत :-पुं० [चूष्यते पीयते इति। चूष् कर्मणि क्त] आम।
सद्यः प्रवालोद्गम चारुपत्रे नीते समाप्तिं नवचूत बाणे। 3/27 सुन्दर बसन्त ने नई कोपलों के पंख लगाकर, आम की मंजरियों के बाण तैयार कर दिए। चूत यष्टि रिवाभ्याशे मघौ परभृतोन्मुखी। 6/2 जैसे कोयल की बोली में वसन्त के पास अपना संदेश भेजती हुई आम की
डाली शोभा देती है। 3. सहकार :-पु० [सह युगपत् कारयति विक्षेपयति सौगन्ध्यमिति] सह-कृ+
णिच्+अच्] आम। निवपे: सहकार मंजरी: प्रिय चूत प्रसवो हिते सखा। 4/38 पत्तों वाली आम की मंजरी अवश्य देना, क्योंकि तुम्हारे मित्र को आम की मंजरी बहुत प्यारी थी। अप्रतयं विधियोग निर्मितमाम्रतेव सहकारतां ययौ। 8/78 जैसे वसन्त में ब्रह्मा की कृपा से आम का पेड़ अधिक सुगंधित होकर सहकार बन जाता है।
आयुध
1. आयुध :-पुं० [आयुध्यते अनेनेति।आ+युध्+क] बाण, वज्र, अस्त्र, धनुष।
प्रशमादर्चिषा मेतदनुद्गीर्ण सुरायुधम्। 2/20
इन्द्रधनुष के समान चमकीला वज्र भी। 2. चाप :-पुं० क्ली० [चपस्य वंशविशेषस्य विकारः] धनु, धनुष ।
तां वीक्ष्य लीला चतुरामनङ्गः स्वचाप सौन्दर्य मदं मुमोच। 1/47 वे भौंहें इतनी सुन्दर थीं कि कामदेव भी अपने धनुष की सुन्दरता का जो घमण्ड लिए फिरते थे, वह इन भौंहों के आगे चूर-चूर हो गया। रतिवलय पदाङ्के चापमासज्य कण्ठे। 2/64 रति के कंगन की छाप पड़े हुए गले में सुन्दर धनुष कंधे पर लटकाकर। चापेन ते कर्मन चाति हिंस्त्र महो बतासि स्पृहणीय वीर्यः। 3/20 इस काम में तुम्हारा धनुष काम आवेगा सही, पर इससे किसी की हिंसा नहीं होगी।
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