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कुमारसंभव
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ददर्श चक्रीकृत चारुचापं प्रहर्तुमभ्युद्यत मात्मयोनिम्। 3/70 शंकर जी देखते क्या हैं कि अपने धनुष को खींचकर गोल किये हुए कामदेव
मुझ पर बाण चलाने ही वाला है। 3. बाण :-पुं० [बणनं बाणः शब्दस्तदस्यास्तीति बाण+अच्] बाण, तीर, अस्त्र।
संमोहनं नाम च पुष्पधन्वा धानुष्यमोघं समधत्त बाणम्। 3/66
कामदेव ने भी सम्मोहन नाम का अचूक बाण अपने धनुष पर चढ़ा लिया। 4. शिलीमुख :-पुं० [शिलीव मुखं यस्य] भ्रमर, मधुकर, बाण ।
असह्यहुंकार निवर्तितः पुरा पुरारिम प्राप्त मुखः शिलीमुखः। 5/54 उस समय कामदेव ने शिवजी के ऊपर जो बाण चलाया था, वह उस समय तो
उनकी हुँकार सुनकर ही लौट गया। 5. सायक :-पुं० [स्यति छिनतीति। षो+ण्वुल्+युक्] सायक, बाण।
यावद् भवत्या हित सायकस्य मत्कार्मुकस्यास्य निदेशवर्ती। 3/4 आप मुझे उसका नाम भर बता दीजिए फिर तो मैं अभी जाकर उसे अपने इस बाण चढ़े हुए धनुष से जीते लाता हूँ। तस्यानु मेने भगवान्वि मन्युापारमात्मन्यपि सायकानाम। 7/93 प्रसन्न मन वाले शंकर जी ने कहा-अच्छी बात है, अब कामदेव से कह दो कि वह जी भरकर हम पर बाण चलावे।
आलय
1. आलय :-पुं० [आलीयते अस्मिन् । आ+ली+अधिकरणे अच] गृह, घर।
अस्त्युत्तरस्यां दिशि देवतात्मा हिमालयो नाम नगाधिराजः। 1/1 भारत के उत्तर में देवता के समान पूजनीय हिमालय नाम का बड़ा पहाड़ है। केयूर चूर्णी कृतलाजमुष्टिं हिमालयस्यालयमाससाद। 7/69 वहाँ से वे हिमालय के भवन की उस भीतर की कोठरी में पहुँचे, जहाँ ब्रह्मा जी पहले से बैठे हुए थे। गणाश्च गिर्यालयमभ्य गच्छन्प्रशस्तमारम्भमिवोत्तमार्थाः। 7/71 सभी गण हिमलाय के घर में उसी प्रकार पैठे, जैसे किसी काम के ठीक-ठीक
आरम्भ हो जाने पर उसके पीछे और भी बहुत से बड़े-बड़े काम सध जाते हैं। 2. गृह :-[ग्रह+क] गृह, घर, मकान, निवास स्थान।
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