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कुमारसंभव
शक्य मोषधिपतेर्नवोदयाः कर्णपूररचना कृते तव । 8 / 62
तुम चाहो तो अपने कर्णफूल बनाने के लिए, अपने नखों की नोक से उन्हें तोड़ लो ।
3. कर्णोत्पल : - कर्णफूल ।
कपोल संसर्पिशिखः स तस्या मुहूर्त कर्णोत्पलतां प्रपेदे | 7/81
वह धुआँ उनके गालों के पास पहुँचकर, क्षण भर के लिए उनके कानों का कर्णफूल बन जाता था ।
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अवस्था
1. अवस्था :- [ अव + स्था + अङ् ] दशा, हाल, स्थिति । तिसृभिस्तवभ्तवस्थाभिर्मिहि मान मुदीरयन् । 2/6
आप ही शिव, विष्णु और हिरण्यगर्भ इन तीन रूपों में अभिहित हैं। 2. दशा :- [ दश् + अङ् नि० टाप्] हाल, स्थिति ।
तदिदं गत मीदृशी दशां न विदीर्ये कठिनाः खलु स्त्रियः 1 4/5
उसे इस दशा मे देखकर भी मेरी छाती फट नहीं गई। सचमुच स्त्रियों का हृदय बड़ा कठोर होता है।
अशनि
1. अशनि :- पुं० स्त्री० [ अयनुते संहति - अश् + अनि] धनुष ।
अशनेर मृतस्य चोभयोर्वसिनश्चाम्बुधराश्च योनयः । 4/43
जैसे बादल में बिजली और जल दोनों साथ-साथ रहते हैं, वैसे ही संयमी लोगों के मन में क्रोध और क्षमा दोनों इकट्ठे रहते हैं ।
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2. कार्मुक :- त्रि० [ कर्मन + उकञ् ] धनुष, धनु ।
यावद्भवत्याहित सायकस्य मत्कार्मुकस्यास्य निदेशवर्ती । 3/4
आप मुझे उसका नाम भर बतला दीजिए, फिर तो मैं अभी जाकर उसे अपने इस बाण चढ़े हुए धनुष से जीते लाता हूँ।
क्व नु ते हृदयंगमः सखा कुसुमा योजित्कार्मुको मधुः । 4/24 अब कहाँ गया वह तुम्हारे लिए फूलों का धनुष बनाने वाला प्यारा मित्र वसन्त । 3. कुलिश : - [ कुलि+सी+ड, पक्षे पषोः दीर्घः ] धनुष, अस्त्र, वज्र ।