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कुमारसंभव
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अलि
1. अलि :-पुं० [अल्+इन्] भौंरा।
अलि पंक्ति रने कुशस्त्वया गुणकृत्ये धनुषो नियोजिता। 4/15 जिन भौरों की पांतों की तुम अनेक बार अपने धनुष की डोरी बनाया करते थे। 2. द्विरेफ :-भौंरा।
अनन्तपुष्पस्य मधोर्हि चूते द्विरेफमाला सविशेष सङ्गा। 1/27 जैसे भौरों की पाँतें वसन्त के ढेरों फूलों को छोड़कर, आम की मंजरियों पर ही झूमती रहती हैं। लग्न द्विरेफाञ्जन भक्ति चित्रं मुखे मधुश्रीस्तिलकं प्रकाश्य। 3/30 वहाँ उड़ते हुए भौरे, खिले हुए तिलक के फूल और प्रात:काल की सूर्य की लाली से चमकने वाली कोंपलें ऐसी लगती थीं। मधु द्विरेफः कुसुमैक पात्रे पपौ प्रियां स्वामनुवर्तमानः। 3/36 भौंरा अपनी प्यारी भौंरी के साथ एक ही फूल की कटोरी में मकरन्द पीने लगा। निष्कम्पवृक्षं निभृतद्विरेफ मूकाण्डज शान्तमृगप्रचारम्। 3/42 उसकी आज्ञा पाते ही वृक्षों ने हिलना बन्द कर दिया, भौरों ने गूंजना बन्द कर दिया, सब जीव-जन्तु चुप हो गये। सुगन्धि निश्वास विवृद्धतृष्णं बिम्बाधरासन्नचरं द्विरेफम्। 3/56 कामदेव ने देखा कि उनकी सुगन्धित साँस पर ललचे हुए भौरे, जब-जब उनके लाल-लाल ओठों के पास आते हैं। लग्न द्विरेफं परिभूय पद्मं समेघलेखं शशिनश्च बिम्बम्। 7/16
भौरों से घिरा हुआ कमल और बादल के टुकड़ों मे लिपटा हुआ चन्द्रमा। 3. भ्रमर :-पुं० [भ्रमति प्रति कुसुममिति। अर्तिक मित्यादीना' अर, भ्रम+करन]
भौंरा। पदं सहेत भ्रमरस्य पेलवं शिरीष पुष्पं न पुनः पतित्रिणः। 5/4 शिरीष के फूल पर भौरे फूल पर भौरें भले ही आकर बैठ जायें, पर यदि कोई पक्षी उस पर आकर बैठने लगे, तब तो वह नन्हाँ सा फूल झड़ ही जायगा। विलोलनेत्रभ्रमरैर्गर्वाक्षाः सहस्रपत्रभरणा इवासन। 7/62 मानो खिड़कियों की जालियों में भौंरो से भरे कमल टाँग दिए गए हों।
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