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कुमारसंभव
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2. अम्बुवाहम :-घन, बादल, मेघ।
अवृष्टि संरम्भमिवाम्ब्रवहम पामिवाधारमनुत्तरंगम्। 3/48
जैसे न बरसने वाला बादल हो, बिना लहर वाला निश्चल ताल हो। 3. घन :-पुं० [घनति दीप्यते इति। घन्+दीप्तौ+अच्] मेघ, बादल।
रजनीतिमिरावगुण्ठिते पुरमार्गे घन शब्दविल्कवाः। 4/11 वर्षा के दिनों में रात की घनी अंधियारी से भरे डरावने नगर के मार्ग में बिजली की कड़-कड़ाहट से। तस्योप कण्ठे घन नीलकण्ठः कुतूहलादुन्मुखपौरदृष्टः। 7/51 उसी नगर के पास बादलों के समान नीले कंठ वाले महादेव जी को वहाँ के
निवासी बड़े चाव से ऊपर मुँह उठाए हुए देख रहे थे। 4. जलद :-पुं० [जलं ददातीति, दा+क] बादल, मेघ ।
दरी गृहद्वारविलम्बिबिम्बास्तिरस्करिण्यो जलदा भवन्ति। 1/14
तब बादल उन गुफाओं के द्वारों पर आकर ओट करके अँधेरा कर देते हैं। 5. तोयद :-पुं० [तोयं ददातीति, दा+क] बादल, मेघ।
तदीयास्तोयदेष्वद्य पुष्करावर्तकादिषु। 2/50
आज उसके हाथी पुष्करावर्त आदि बादलों से टक्कर ले-लेकर। 6. पयोद :-पुं० [पयं ददातीति, दा+क] बादल, मेघ।
बलाकिनी नीलपयोदराजी दूरं पुरः क्षिप्तशतहदेव । 7/39 मानो बगुलों से भरी हुई और दूर तक चमकती हुई बिजली वाली नीले बादलों
की घटा चली आ रही हो। 7. पर्जन्य :-पुं० [पर्षति सिञ्चति वृष्टिं ददातीति । पृषु सेवने+पर्जन्यः' इति
निपातनात षकारस्य जकारत्वे साधुः] बादल, मेघ । निर्वृत्तपर्जन्यजलाभिषेका प्रपुफल्लकाशा वसुधेव रेजे। 7/11 गरजते हुए बादलों के जल से धुली हुई और कांस के फूलों से भरी हुई धरती
शोभा दे रही है। 8. बलाहक :-पुं० [बलेन हीयते इति । बल+हा+क्वुन् । यद्वा वारीणां वाहक:]
बादल, मेघ। बलाहकच्छेदविभक्तरागामकालसंध्यामिव धातुमत्ताम्। 1/4
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