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कुमारसंभव
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मुनिव्रतैस्त्वामति मात्रकर्शितां दिवाकरप्लुष्ट विभूषणास्पदाम् । 5/48 तपस्या से अत्यंत सूखे हुए आपके इस शरीर को जिस पर आभूषण न पहनने से अंग सूर्य की किरणों से झुलस गए हैं।
7. दीधितिमान :- सूर्य, रवि ।
सरसां सुप्त पद्मानां प्रातर्दीधितिमानिव 12/2
जैसे ताल में सोए हुए कमलों के आगे प्रातः काल का सूर्य निकलता है । तत्रावतीर्याच्युत दत्तहस्तः शरद्धनाद्दीधिति मानिवोक्ष्णः | 7/70
वहाँ पहुँचने पर विष्णु जी ने हाथ का सहारा देकर महादेव जी को इस प्रकार बैल से उतार लिया, मानो शरद के उजले बादलों से सूर्य को उतार लिया हो । 8. भानु :- पुं० [ भाति चतुर्दशभुवनेषु स्वप्रभया दीप्यते इति । भा+' दामाभ्यां नुः इति नु] सूर्य, रवि ।
विशोषितां भानुमतो मयूखैर्मन्दाकिनी पुष्कर बीजमालाम् । 3/65 धूप में सुखाये हुए मन्दाकिनी के कमल के बीजों की माला । करेण भानोर्बहुलावसाने संधुक्ष्यमाणेव शशाङ्करेखा । 7 / 8 जैसे शुक्ल पक्ष में सूर्य की किरण पाकर चन्द्रमा चमकने लगता है। दूरमग्रपरिमेय रश्मिना वारुणी दिगरुणेन भानुना । 8 / 40
हे सुन्दरी ! बहुत दूर पर सूर्य की हल्की सी झलक दिखाई पड़ने से पश्चिम दिशा ।
भानुमग्नि परिकीर्ण तेजसं संस्तुवन्ति किरणोष्मपायिनः । 8 / 41
उस सूर्य की स्तुति कर रहे हैं, जिन्होंने इस समय अपना तेज अग्नि को सौंप दिया है।
9. रवि :- पुं० [ रूयते स्तूयते इति । रू+' अच इ:' इति इ] सूर्य, रवि, रविपीतजला तपात्यये पुनरोधेन हि युज्यते नदी । 4/44
भानु ।
जो नदियाँ गरमी में सूर्य की किरणों को अपना जल पिलाकर छिछली हो जाती हैं, उन्हीं नदियों में वर्षा आने पर बाढ़ जा आती है ।
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खं प्रसुप्तमिव संस्थितौ रवौ तेजसो महत ईदृशी गतिः । 8 / 43
सूर्य के छिपते ही सारा आकाश सोया हुआ सा जान पड़ रहा है। देखो तेजस्वियों की ऐसी ही बात होती है।
संध्ययाप्यनुगतं रवेर्वपूर्वन्द्यमस्तशिखरे समर्पितम् । 8 /44