________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
540
कालिदास पर्याय कोश
तब कमल के आसन पर बैठे हुए ब्रह्माणी को दोनों ने प्रणाम किया। पद्मकान्तिमरुणविभागयोः संक्रमय्य तव नेत्र योरिव । 8/30 देखो प्यारी ! इस समय सूर्य ऐसा दिखाई पड़ रहा है, मानो यह तुम्हारी तिहाई
लाल आँखों के समान सुन्दर कमलों की शोभा को लजाकर। 10. पुष्कर :-क्ली० [पुष्णातीति, पुष पुष्टौ+'पुषः कित्' इति करन् स च कित्]
कमल। विशोषितां भानुमतो मयूखैर्मन्दाकिनी पुष्करबीजमालाम्। 3/65
धूप में सुखाए हुए मन्दाकिनी के कमल के बीजों की माला। 11. राजीव :-क्ली० [राजी दल श्रेणिरस्यास्तीति । राजी + 'अन्येभ्योऽपि दृश्यते',
इत्युक्त्वा वा] कमल। उत्तान पाणिद्वय सन्निवेशात्प्रफुल्लराजीव मिवाङ्कमध्ये। 3/45 अपने दोनों कन्धे झकाकर, अपनी गोद में कमल के समान दोनों हथेलियों को
ऊपर किए, वे बिना हिले-डुले बैठे हैं। 12. वारिरुह :-कमल, जलज।
आविभात चरणाय गृह्णते वारि वारिरुहबद्ध षट्पदम्। 8/33
उस ताल की ओर बढ़े चले जा रहे हैं, जहाँ कमलों में भौंरों बन्द पड़े हैं। 13. सरोज :-क्ली० [सरसि जातमिति। सरस + जन्+उ] कमल।
तुषारवृष्टिक्षत पद्मसंपदा सरोजसंधानामिवाकसेदपाम्। 5/27 मानो पाले से मारे गए कमलों के जल जाने पर, उनके मुख के कमल ने ही उस
ताल को कमल वाला बनाए रखा हो। 14. सहस्रपत्र :-क्ली० [सहस्रं पत्राणि यस्य] कमल।
विलोल नेत्र भ्रमरैर्गवाक्षाः सहस्रपत्राभरणा इवासन्। 7/62 मानो खिड़कियों की जालियों में भौरों से भरे कमल टाँग दिए गए हों।
अरण्य
1. अरण्य :-क्ली० [अर्यते मृगैः । ऋ गतौ, अर्जेनिच्चेति अन्य] वन, जंगल,
कानन। अयाचतारण्य निवासमात्मनः फलोदयान्ताय तपः समाधये। 5/7 क्या मैं तब तक के लिए वन में जाकर तपस्या कर सकती हूँ, जब तक शिवजी मुझ पर प्रसन्न न हो जायें।
For Private And Personal Use Only