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कुमारसंभव
उच्छ्वसत्कमलगन्धये ददौ पार्वती वदनगन्धवाहिने। 8/19 तब खिले हुए कमल की गंधवाले पार्वती जी के मुँह की फूंक पाने के लिए वे अपना नेत्र उठाकर उनके मुँह तक पहुँचा देते। पार्वतीमवचनामसूयया प्रत्युपेत्य पुनराह सस्मितम्।। 8/50 उन पार्वती जी के पास पहुंचे, जो चुप्पी साधकर रूठी हुई बैठी थीं। महादेव जी उनसे मुस्कराते हुए कहने लगे। तस्य तच्छिदुरमेखलागुणं पार्वतीरतम भून्न तृप्तये।। 8/83 पार्वती जी की करधनी भी टूट गई, फिर भी पार्वतीजी के साथ संभोग करके
शंकर जी का जी नहीं भरा। 11. शैलराजतनया :-पार्वती, उमा, गौरी।
शैलराज तनया समीप गामाललाप विजयामहेतुकम्। 3/43 पार्वती जी ने पास बैठी विजया से इधर-उधर की बेसिर-पैर की बातें छेड़ दीं। 12. शैलराज दुहिता :-पार्वती, उमा, गौरी।
पाणिपीडनविधेरनन्तरं शैलराजदुहितुर्हरं प्रति । 8/1
विवाह हो जाने पर पार्वती जी यह तो चाहती थीं कि शिवजी से। 13. शैलसुता :-पार्वती, उमा, गौरी।
तस्मै शशंस प्रणिपत्य नन्दी शुश्रूषया शैल सुतामुपेताम्।। 3/60 उनकी समाधि खुली देखकर नन्दी ने जाकर उन्हें प्रणाम करके कहा, कि
आपकी सेवा करने के लिए पार्वती जी आई हुई हैं। 14. शैलात्मजा :-पार्वती, उमा, गौरी। शैलात्मजापि पितुरुच्छिरसोऽभिलाषं व्यर्थं समर्थ्य ललितां वपुरात्मनश्च।
3/75 पार्वती जी ने भी सोचा कि मेरे ऊँचे सिर वाले पिता का मनोरथ और मेरी
सुन्दरता दोनों अकारथ हो गईं। 15. हिमाद्रि तनुजा :-पार्वती, उमा, गौरी।
तस्मै हिमाद्रेः प्रयतां तनूजां यतात्मने रोचयितुं यतस्व। 3/16 अब तुम ऐसा यत्न करो कि समाधि में बैठे हुए महादेव जी के मन में हिमालय की कन्या पार्वती के लिए प्रेम उत्पन्न हो जाय।
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