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समाज का इतिहास/43
५. पं. भंवरलाल न्याय राजमार्ग मिलन है। जयपुर नगर आपका कार्य-क्षेत्र रहा है एवं पं. चैनसुखदास जी न्यायतीर्थ के आप प्रमुख एवं प्रिय शिष्य रहे हैं। जयपुर की शिक्षण एवं सामाजिक संस्थाओं से आपका गहरा सम्बन्ध है। विद्यार्थी अवस्था में ही आप सामाजिक सेवा, लेखन कार्य एवं पत्रकारिता क्षेत्र में उतर गये । जयपुर के जैन दीवानों पर आपकी ऐतिहासिक शोध लिखी मानी जाती है। वीरवाणी पत्रिका के आप प्रारम्भ से ही सम्पादक है। वीर निर्वाण भारती से आपको समाजरत्न की उपाधि से सम्मानित किया गया था। भारतीय दिगम्बर जैन विद्वत परिषद् के आप अध्यक्ष रह चुके है। 2 दिसम्बर को जन्मे वर्तमान में आप 76वें वर्ष में चल रहे है। अभी आपका जयपुर जैन समाज की ओर से सम्मान किया गया था। अतिशय क्षेत्र पद्मपुरा के 40 से भी अधिक वर्षों तक मंत्री रहकर आपने क्षेत्र की उल्लेखनीय सेवा की है।
10. प्राचार्य नरेन्द्र प्रकाश जैन, फिरोजाबाद : अभी तक हमने समाज के वयोवृद्ध विद्वानों का ही परिचय दिया है लेकिन नरेन्द्र प्रकाश जी युवा मनीषी है। वक्तृत्व कला के धनी है जब बोलने लगते है तो धारा प्रवाह बोलते रहते है। जैन गजट के सम्पादक है। अच्छे लेखक है। दिगम्बर जैन इन्टर कॉलेज, फिरोजाबाद के प्राचार्य है। कितने ही अभिनन्दन ग्रंथों के सम्पादक मंडल के सदस्य हैं।
11, डॉ. प्रेम सुमन जैन, डॉ. जैन वर्तमान जैन विद्वत् समाज में विशेष लोकप्रियता प्राप्त युवा विद्वान है। प्राकृत एवं अपभ्रंश के उच्चकोटि के विद्वान है। अच्छे वक्ता है। विद्वत संगोष्ठियों का आयोजन भी करते रहते है। विदेशों में जाकर शोध-पत्रों का वाचन कर चुके हैं। सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर में प्राकृत एवं जैन विद्या विभाग के निदेशक है । प्राकृत विद्या के यशस्वी सम्पादक है।
12. रॉ. देवेन्द्र कुमार शास्त्री : शरीर से दुबले-पतले तथा छोटे कद के डॉ. शास्त्री जी को पहचानने में देर नहीं लगती। शास्त्री जी प्राकृत एवं अपभ्रश के अधिकारी विद्वान है। अपभ्रश एवं प्राकृत के कितने ही ग्रंथो का सम्पादन कर चुके है। मध्य प्रदेश राज्य सेवा में आचार्य के पद पर कार्यरत है। जैन संदेश के सम्पादक रह चुके है। आपकी प्रमुख रचनाओं में "भविसयत्तकहा तथा अपभ्रंश काव्य," अपभ्रंश भाषा
और साहित्य की शोध प्रवृत्तियाँ, रयणसार, वड्ढमाण चरिउ (नरसेन कृत) के नाम उल्लेखनीय है। उनके अतिरिक्त 150-200 शोध निबन्ध प्रकाशित हो चुके है।
13. डॉ. राजाराम जैन : महाकवि रइधु के अपभ्रंश भाषा में रचित ग्रंथों के सम्पादन एवं प्रकाशन में लगे डॉ. राजाराम जैन समाज के युवा विद्वानों में गिने जाते है। रइधु ग्रंथावली के अब तक दो भाग प्रकाशित हो चुके है। अच्छे वक्ता एवं विचारक है। जैन कॉलेज, आरा में प्राकृत एवं संस्कृत विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर है। जैन साहित्य के अधिकारी विद्वान माने जाते है। अभी कुछ ही समय से जैन दर्शन के सम्पादक का कार्यभार सम्भाला है।
14. डॉ. हुकमचन्द भारिल्ल : डॉ. हुकमचन्द भारिल्ल सोनगढ़ विचारधारा के कट्टर समर्थक विद्वान