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भगवती सूत्र श. १ उ. १ नारक जीवों का वर्णन
पुद्गल आहार रूप से ग्रहण नहीं किये गये हैं और आगे भी आहार रूप से ग्रहण नहीं किये जावेंगे वे पुद्गल परिणत हुए हैं ? .. उत्तर-हे गौतम ! (१) नारकी जीवों के पहले आहार किये हुए पुद्गल परिणत हुए हैं। (२) आहार किये हुए पुद्गल परिणत हुए हैं और आहार किये जाते हुए पुद्गल परिणत होते हैं। (३) अनाहारित अर्थात् जो पुद्गल आहार रूप से ग्रहण नहीं किये गये हैं वे परिणत नहीं हुए हैं और जो पुद्गल आगे आहार रूप से ग्रहण किये जावेंगे वे परिणत होंगे। (४) अनाहारित-जो पुद्गल आहार रूप से ग्रहण नहीं किये गये हैं वे परिणत नहीं हुए हैं और जो पुद्गल आगे आहार रूप से ग्रहण नहीं किये जायेंगे वे परिणत नहीं होंगे। .
७ हे भगवन् ! क्या नारको जीवों के पहले आहार किये हुए पुद्गल चित अर्थात् चय को प्राप्त हुए हैं ?
जिस प्रकार 'परिणत' का कहा उसी प्रकार चित, उपचित, उदीरित, वेदित और निर्जीर्ण का भी कह देना चाहिए।
परिणत, चित, उपचित, उदीरित, वेदित और निर्जीर्ण, इस एक एक पद में पुद्गल विषयक चार चार प्रकार के प्रश्नोत्तर होते हैं।
विवेचन-यहाँ नरयिक जीवों के आहार के विषय में चार प्रश्न किये गये हैं । उनका आशय, इस प्रकार है
(१) पूर्वकाल में ग्रहण किये हुए या आहार किये पुद्गल क्या शरीर रूप में परिणत हुए है ?
(२) क्या भूतकाल में ग्रहण किये हुए और वर्तमान काल में ग्रहण किये जाते हुए पुद्गल शरीर रूप में परिणत हुए है ?
. (३) भूतकाल मे जिन पुद्गलों का आहार नहीं किया है, किन्तु भविष्य काल में जिनका आहार किया जायगा, वे पुद्गल क्या शरीर रूप में परिणत हुए हैं ? ।
(४) भूतकाल में जिन पुद्गलों को आहार रूप से ग्रहण नहीं किया है और भविष्यकाल में भी आहार रूप से ग्रहण नहीं किया जायगा, क्या वे पुद्गल शरीर रूप में परिणत हुए हैं ?
पूर्वकाल में जिन पुद्गलों का आहार किया नया हो या संग्रह किया गया हो उन्हें
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