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भगवती सूत्र-श. २ उ. २ समुद्घात वर्णन
किया । साठ भक्त अनशन का छेदन किया अर्थात् एक दिन के दो टंक के हिसाब से साठ भक्त का यानी एक मास का संथारा किया। यथासमय काल करके बारहवें देवलोक में बाईस सागरोपम की स्थिति वाले देव हुए। वहाँ की स्थिति पूर्ण करके (वहां से चव कर) महाविदेह क्षेत्र में जन्म लेंगे और संयम अंगीकार करके, समस्त कर्मों का क्षय करके, सिद्ध, बुद्ध, मुक्त होंगे यावत् सब दुःखों का अन्त करेंगे।
॥ दूसरे शतक का प्रथम उद्देशक समाप्त ॥ ...
शतक २ उद्देशक २
समुद्घात वर्णन १९ प्रश्न-कइ णं भंते ! समुग्धाया पण्णता ? ,
१९ उत्तर-गोयमा ! सत्त समुग्घाया पण्णता, तं जहाः-वेदणासमुग्घाए एवं समुग्धायपदं, - छाउमत्थियसमुग्घायवजं भाणियव्वं जाव-वेमाणियाणं, कसायसमुग्धाया अप्पाबहुयं ।
२० प्रश्न-अणगारस्स णं भंते ! भावियप्पणो केवलिसमुग्याए जाव-सासयमणागयधं चिटुंति ? २० उत्तर-समुग्घायपदं यवं ?
॥बिइयसए बिइओ उद्देसो सम्मत्तो॥ .. विशेष शब्दों के अर्थ-समुग्घाया-समुद्घात, अप्पाबयं-अल्पबहुत, भावियप्पणो-भावितात्मा, गेयव्वं-जानना चाहिए।
भावार्थ-१९ प्रश्न-हे भगवन् ! समुद्घात कितनी कही गई हैं ?
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