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भगवती सूत्र --श. २ उ. ८ चमरचंचा राजधानी
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ऊंचाई पांच सौ योजन की है अर्थात् विमान पांच मी योजन ऊंचे हैं। सनत्कुमार और माहेन्द्रकल्प में मोटाई छब्बीस सौ योजन और ऊंचाई सात सौ योजन की है । ब्रह्मलोक और लान्तक में मोटाई पच्चीस सौ योजन और ऊंचाई सात सौ योजन की है । महाशुक्र और सहस्रार कल्प में मोटाई चौबीस सौ योजन और ऊंचाई आठ सौ योजन है । आणत, प्राणत, आरण और अच्युत देवलोक में मोटाई तेईस सौ योजन और ऊँचाई नौ सौ योजन की है। नवग्रेवेयक के विमानों की मोटाई बाईम सौ योजन और ऊंचाई एक . हजार योजन की है। पांच अनुत्तर के विमानों की मोटाई इक्कीस सौ योजन और ऊंचाई ग्यारह सौ योजन की है।
संस्थान-सौधर्मादि कल्पों में विमान दो तरह के हैं--आवलिकाप्रविष्ट और आबलिका बाह्य । आवलिकाप्रविष्ट (पक्तिबद्ध) तीन संस्थानों वाले हैं-वृत्त (गोल), यंस (त्रिकोण) और चतुरस्र (चार कोण वाले) । आवलिका बाह्य अनेक संस्थानों वाले हैं।
विमानों का प्रमाण, रंग, कान्ति गन्ध आदि का वर्णन जीवाभिगमसूत्र से जान लेना चाहिये।
... ॥ दूसरे शतक का सातवां उद्देशक समाप्त ॥
शतक २ उद्देशक ८
चमरचंचा राजधानी _ ५१ प्रश्न कहिं णं भंते ! चमरस्स असुरिंदस्स असुरकुमाररण्णो सभा सुहम्मा पण्णता ? . .. ५१ उत्तर-गोयमा ! जंबूदीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणेणं
तिरियमसंखेजे दीव-समुद्दे वीइवइत्ता अरुणवरस्स दीवस्स बाहिरिल्लाओ वेइयंताओ अरुणोदयं समुदं बायालीसं जोयणसयसहस्साई ओगाहित्ता, एत्थ णं चमरस्स असुरिन्दस्स असुरकुमार
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