Book Title: Bhagvati Sutra Part 01
Author(s): Ghevarchand Banthiya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 522
________________ भगवती सूत्र --श. २ उ. ८ चमरचंचा राजधानी ५०३ ऊंचाई पांच सौ योजन की है अर्थात् विमान पांच मी योजन ऊंचे हैं। सनत्कुमार और माहेन्द्रकल्प में मोटाई छब्बीस सौ योजन और ऊंचाई सात सौ योजन की है । ब्रह्मलोक और लान्तक में मोटाई पच्चीस सौ योजन और ऊंचाई सात सौ योजन की है । महाशुक्र और सहस्रार कल्प में मोटाई चौबीस सौ योजन और ऊंचाई आठ सौ योजन है । आणत, प्राणत, आरण और अच्युत देवलोक में मोटाई तेईस सौ योजन और ऊँचाई नौ सौ योजन की है। नवग्रेवेयक के विमानों की मोटाई बाईम सौ योजन और ऊंचाई एक . हजार योजन की है। पांच अनुत्तर के विमानों की मोटाई इक्कीस सौ योजन और ऊंचाई ग्यारह सौ योजन की है। संस्थान-सौधर्मादि कल्पों में विमान दो तरह के हैं--आवलिकाप्रविष्ट और आबलिका बाह्य । आवलिकाप्रविष्ट (पक्तिबद्ध) तीन संस्थानों वाले हैं-वृत्त (गोल), यंस (त्रिकोण) और चतुरस्र (चार कोण वाले) । आवलिका बाह्य अनेक संस्थानों वाले हैं। विमानों का प्रमाण, रंग, कान्ति गन्ध आदि का वर्णन जीवाभिगमसूत्र से जान लेना चाहिये। ... ॥ दूसरे शतक का सातवां उद्देशक समाप्त ॥ शतक २ उद्देशक ८ चमरचंचा राजधानी _ ५१ प्रश्न कहिं णं भंते ! चमरस्स असुरिंदस्स असुरकुमाररण्णो सभा सुहम्मा पण्णता ? . .. ५१ उत्तर-गोयमा ! जंबूदीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणेणं तिरियमसंखेजे दीव-समुद्दे वीइवइत्ता अरुणवरस्स दीवस्स बाहिरिल्लाओ वेइयंताओ अरुणोदयं समुदं बायालीसं जोयणसयसहस्साई ओगाहित्ता, एत्थ णं चमरस्स असुरिन्दस्स असुरकुमार Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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