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भगवती सूत्र-श. २ उ. १० धर्मास्तिकाय विषयक प्रश्नोत्तर
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णं धम्मत्थिकाए नो धम्मत्थिकाए त्ति वत्तव्वं सिया। ... ६२ प्रश्न-से किं खाइए णं भंते ! धम्मस्थिकाए ति वत्तव्यं सिया ?
६२ उत्तर-गोयमा ! असंखेजा धम्मस्थिकाए पएसा, ते सव्वे कसिणा पडिपुण्णा निरवसेसा एगगहणगहिया एस गं गोयमा ! धम्मत्थिकाए ति वत्तव्वं सिया, एवं अहम्मस्थिकाए वि, आगासस्थिकाए वि, जीवत्थिकाय-पोग्गलथिकाए वि एवं चेव, नवरं-तिण्णं पि पदेसा अणंता भाणियव्वा, सेसं तं चेव ।
विशेष शब्दों के अर्थ-दूसे-दूष्य-वस्त्र, आउहे-आयुध = शस्त्र, मोयएमोदक-लड्डू, कसिणा-सब-सम्पूर्ण, पडिपुण्णा-सम्पूर्ण, निरवसेसा-निरवशेष, एगगहण- . गहिया-एक के ग्रहण करने पर सब का ग्रहण होना। ___भावार्थ-५८ प्रश्न-हे भगवन् ! क्या धर्मास्तिकाय का एक प्रदेश धर्मास्तिकाय कहलाता है ? -
५८ उत्तर-हे गौतम ! यह अर्थ समर्थ नहीं अर्थात् धर्मास्तिकाय का एक प्रदेश, धर्मास्तिकाय नहीं कहलाता है । इसी तरह से दो प्रदेश, तीन प्रदेश चार प्रदेश, पांच प्रदेश, छह प्रदेश, सात प्रदेश, आठ प्रदेश, नौ प्रदेश, बस प्रदेश और संख्यात प्रदेश भी धर्मास्तिकाय नहीं कहलाते हैं।
५९ प्रश्न हे भगवन् ! क्या धर्मास्तिकाय के असंख्यात प्रवेश, धर्मास्तिकाय कहलाते हैं ? .... ५९ उत्तर-हे गौतम ! यह अर्थ समर्थ नहीं, अर्थात् धर्मास्तिकाय के असंख्यात प्रवेश, धर्मास्तिकाय नहीं कहलाते हैं।
६० प्रश्न- हे भगवन् ! एक प्रदेश से कम धर्मास्तिकाय को क्या धर्मास्तिकाय कहते हैं ?
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