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भगवती सूत्र - २ उ. चमरवंचा राजधानी
पण्णत्ते । अढाइज्जाई जोगणसयाई उडूढं उच्चत्तेणं, पणवीसं जोयणसयाई विक्खभेणं । पासायवण्णओ । उल्लोयभूमिवण्णओ । अट्टजोयणाई मणिपेढिया, चमरस्स सीहासणं सपरिवारं भाणियध्वं । तस्स णं तिगिच्छकूडस्स दाहिणेणं छक्कोडिसए पणवन्नं च कोडीओ पणतसंच सयसहस्साईं पण्णासं च सहस्साइं अरुणोदय समुद्दे तिरियं वीवत्ता अहे रयणप्पभाए पुढवीए चत्तालीसं जोयणसहस्साई ओगाहित्ता, एत्थ णं चमरस्स असुरिंदस्स असुरकुमाररण्णो चमरचंचा नामं रायहाणी पण्णत्ता ।
विशेष शब्दों के अर्थ – पासायवडसए - प्रासादावतंसक = महल |
भावार्थ-: -उस तिगिच्छकूट नामक उत्पातपर्वत का ऊपरी भाग ऊबड़ खाबड़ रहित बिल्कुल सम है। वह बड़ा ही मनोहर है। ( उसका वर्णन भी यहां कहना चाहिए ) | उसके बहुसम रमणीय ऊपरी भाग के ठीक बीचोबीच एक बड़ा प्रासादावतंसक (महल) है । उस प्रासादावतंसक की ऊंचाई २५० योजन है । उसका विष्कम्भ १२५ योजन | ( यहाँ उस प्रासादावतंसक - महल का वर्णन कहना चाहिए ) तथा उस महल के ऊपर के भाग का वर्णन करना चाहिए ) । आठ योजन की मणिपीठिका है । (यहाँ चमर के सिंहासन का परिवार सहित वर्णन कहना चाहिए ) ।
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तिगच्छकूट के दक्षिण की तरफ अरुणोदय समुद्र में छह सौ करोड़ पचपन करोड़ पैंतीस लाख और पचास हजार योजन तिच्र्च्छा जाने के बाद नीचे रत्नप्रभा का चालीस हजार योजन भाग अवगाहन करने के पश्चात् इस जगह असुरकुमारों के इन्द्र, असुरकुमारों के राजा चमर की चमरचंचा नाम की राजधानी आती है ।.
विवेचन --- वह वनखण्ड से घिरा हुआ है। उस वनखण्ड का चक्रवाल विष्कम्भ
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