Book Title: Bhagvati Sutra Part 01
Author(s): Ghevarchand Banthiya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 503
________________ भगवती सूत्र - श. २ उ ५ तुंगिका - गौतमस्वामी को शंका 1 परिसा पडिगया । ते णं काले णं ते णं समए णं समणस्स भगवओ महावीरस्स जेट्टे अंतेवासी इंदभूई नामं अणगारे, जाव — संखित्तविउलतेयलेस्से छछट्टेणं अणिक्खित्तेणं तवोकम्मेणं संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे जाव — विहरइ । तए णं से भगवं गोयमे छट्ठक्खमणपारणगंसि पढमाए पोरिसीए सज्झायं करेइ, बीयाए पोरिसीए झाणं झियायह, तझ्याए पोरिसीए अतुरियमचवलमसंभंते मुहपोत्तियं पडिले हेइ, पडिलेहित्ता भायणाईं वत्थाइं पडिले हेइ, पडिलेहित्ता भायणाई पमज्जइ, पमज्जित्ता भायणाहं उग्गहेड उग्गहित्ता, जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छछ, उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं वंदइ नमंसह, वंदित्ता नर्मसित्ता एवं वयासीः - इच्छामि णं भंते ! तुब्भेहिं अब्भणुष्णाए छटुक्खमणपारणगंसि रायगिहे नगरे उच्चनीय-मज्झिमाई कुलाई घरसमुदाणस्स भिक्खायरियाए अडित्तए, अहासुहं देवाणुप्पिया ! मा पडिबंधं । तए णं भगवं गोयमे समणेणं भगवया महावीरेणं अब्भणुष्णाए समाणे समणस्स भगवओ महा: वीरस्स अंतियाओ गुणसिलाओ चेहयाओ पडिनिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता अतुरियमचवलमसंभंते जुगंतरपलोयणाए दिट्ठीए पुरओरियं सोहमाणे सोहमाणे जेणेव रायगिहे णगरे तेणेव उवागच्छह, उवागच्छता रायगि नगरे उब-नीय-मज्झिमाई कुलाई घरसमुदाणस्स भिक्खायरियं अss | ४८४ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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