________________
४७६
भगवती सूत्र - श. २ उ ५ स्थविर वन्दना की तैयारी
विशेष शब्दों के अर्थ - णिज्जायंति-निकलते हैं, लट्ठा - अर्थ प्राप्त कर, सहावेंति
बुलाते हैं ।
उन स्थविर भगवन्तों के पधारने की बात तुंगिया नगरी के शृंगाटक ( सिंघाडे के आकार त्रिकोण) मार्ग में, तीन मार्ग मिलते हैं ऐसे रास्तों में, चार मार्ग मिलते हैं ऐसे रास्तों में और बहुत मार्ग मिलते हैं ऐसे रास्तों में सब जगह फैल गई । जनता उनको वन्दन करने के लिए जाने लगी । जब यह बात तुंगिया नगरी में रहने वाले उन श्रावकों को मालूम हुई, तो वे बडे प्रसन्न हुए, हर्षित हुए और परस्पर एक दूसरे को बुला कर इस प्रकार कहने लगे कि हे देवानुप्रियो ! भगवान् पार्श्वनाथ के शिष्यानुशिष्य स्थविर भगवन्त जो कि जातिसम्पन्न आदि विशेषण विशिष्ट हैं, वे यहाँ पधारे हैं और संयम और तप से आत्मा को भावित करते हुए विचरते हैं ।
विवेचन स्थविर भगवंतों के पधारने की बात तुंगिया नगरी में फैल गई । जनता के मुंह से स्थविर भगवंतों के पधारने की बात सुनकर श्रावकगण बड़े प्रसन्न हुए और परस्पर मिल कर हर्ष व्यक्त करते हुए यों कहने लगे ।
तं महाफलं खलु देवाप्पिया ! तहारूवाणं थेराणं भगवंताणं नाम - गोयस्स वि सवणयाए, किमंग पुण अभिगमण-वंदण-नमंसणपडिपुच्छण-पज्जुवासणयाए, जाव- गहणयाए ? तं गच्छामो णं देवापिया ! थेरे भगवंते वंदामो नम॑सामो जाव पज्जुवासामो, एयं णे इहभवे वा परभवे वा जाव आणुगामियत्ताए भविस्सह, इति कट्टु अण्णमण्णस्स अंतिए एयमट्ठे पडिसुर्णेति । जेणेव सयाई सयाइं गिहाई तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छिता व्हाया कयबलि कम्मा, कयको उय-मंगल-पायच्छित्ता, सुद्धप्पावेसाई मंगलाई वत्थाई पवर
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org