________________
२३०
भगवती सूत्र-श. १ उ. ५ स्थितिस्थान
में के एक एक मरकावास में रहने वाले नारक जीवों के कितने स्थिति स्थान कहे गये हैं ? अर्थात् एक एक नरकावास के नारकियों की कितनी कितनी उम्र है ?
१६९ उत्तर-हे गौतम ! उनके असंख्य स्थिति स्थान कहे गये हैं। वे इस प्रकार हैं-जघन्य स्थिति दस हजार वर्ष की है, वह एक समय अधिक, दो समय अधिक, इस प्रकार यावत् असंख्यात् समय अधिक जघन्य स्थिति तथा उसके योग्य उत्कृष्ट स्थिति (ये सब मिल कर असंख्यात. स्थिति-स्थान होते हैं)।
१७० प्रश्न-हे भगवन् ! इस रत्नप्रभा पृथ्वी के तीस लाख नरकावासों में के एक एक नरकावास में जघन्य (कम से कम)स्थिति में वर्तमान नारकी क्या क्रोधोपयुक्त हैं ? मानोपयुक्त हैं ? मायोपयुक्त हैं ?या लोभोपयुक्त हैं ?
१७० उत्तर-हे गौतम !चे सभी क्रोधोपयुक्त होते हैं। .. अथवा-बहुत क्रोधी और एक मानी होते हैं। अथवा बहुत क्रोधी और बहुत मानी होते हैं। अथवा बहुत क्रोधी और एक मायी होते हैं। अथवा बहुत क्रोधी और बहुत मायी होते हैं। अथवा बहुत क्रोधी और एक लोभी होते हैं। अथवा बहुत क्रोधी और बहुत लोभी होते हैं।
___ अथवा-बहुत क्रोधी, एक मानी और एक मायी होते हैं। अथवा बहुत कोधी, एक मानी और बहुत मायी होते हैं । अथवा बहुत क्रोधी, बहुत मानी
और एक मायी होते हैं। अथवा बहुत क्रोधी, बहुत मानी और बहुत मायी होते हैं। इसी तरह क्रोध, मान और लोभ के चार भंग कहना चाहिए । इसी तरह क्रोध, माया और लोभ के चार भंग कहना चाहिए। फिर क्रोध, मान, माया और लोभ-ये चार संयोगी आठ भंग कहना चाहिए । इस तरह कोध को नहीं छोड़ते हुए ये सत्ताईस भंग बनते हैं।
.. १७१ प्रश्न-हे भगवन् ! इस रत्नप्रभा पृथ्वी के तीस लाख नरकावासों में के एक एक नरकावास में एक समय अधिक जघन्य स्थिति में वर्तमान नारकी क्या क्रोधोपयुक्त हैं ? मानोपयुक्त हैं ? मायोपयुक्त हैं ? या लोभोपयुक्त हैं ? ___१७१ उत्तर-हे गौतम! कभी एक क्रोधोपयुक्त। कभी एक मानोपयुक्त।
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org