________________
भगवती सूत्र - श. १ उ. १० परमाणु के विभाग
३२० पंच परमाणुपोग्गला एगयओ साहणंति । एगयओ साहणित्ता खंधत्ताए कजंति । खंधे वि य णं से असासए सया समियं उवचिज्जह य अवचिज्जह य ।
1
विशेष शब्दों के अर्थ - आहिंसु कहा, अस्थि - विद्यमान, हाँ, है ।
भावार्थ - ३१७ उत्तर - हे गौतम ! अन्यतीर्थिक जो इस प्रकार कहते हैं यावत् वेदना वेदते हैं- ऐसा कहना चाहिए, इत्यादि बातें जो उन्होंने कही हैं वे मिथ्या है। गौतम ! मैं ऐसा कहता हूँ कि 'चलमाणे चलिए जाव णिज्जरिज्ज माणे णिज्जिणे' अर्थात् 'जो चल रहा है वह चला' कहलाता है यावत् जो निर्जर रहा है वह निर्जीर्ण कहलाता है ।
३१८ - दो परमाणु पुद्गल आपस में चिपकते हैं। दो परमाणु पुद्गल आपस में चिपकते हैं इसका क्या कारण है ? इसका कारण यह है कि-दो परमाणु पुद्गलों में चिकनापन है, इसलिए दो परमाणु पुद्गल परस्पर चिपट जाते हैं । उन दो परमाणु पुद्गलों के दो भाग हो सकते हैं। यदि दो परमाणु पुद्गलों के दो भाग किये जाय, तो एक तरफ एक परमाणु और एक तरफ एक परमाणु होता है ।
.
३६७
३१९ - तीन परमाणु पुद्गल परस्पर चिपट जाते हैं। तीन परमाणु पुद्
गल परस्पर क्यों चिपट जाते हैं ? इसका कारण क्या है ? इसका कारण यह है कि तीन परमाणु पुद्गलों में चिकनापन है । इस कारण तीन परमाणु पुद्गल परस्पर चिपट जाते हैं । उन तीन परमाणु पुद्गलों में के दो भाग भी हो सकते हैं और तीन भाग भी हो सकते हैं । दो भाग करने पर एक तरफ एक परमाणु और एक तरफ वो प्रदेश वाला एक स्कन्ध होता है। तीन भाग करने पर एक एक करके तीन परमाणु हो जाते हैं। इसी प्रकार यावत् चार परमाणु पुद्गल के विषय में भी समझना चाहिए । परन्तु तीन परमाणु के डेढ़ डेढ़ नहीं हो सकते हैं।
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org