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भगवती सूत्र-श. उ. १ आर्य स्कन्दक-पंडितमरण के भेद .
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७ जलप्पवेस (जल प्रवेश) मरण-जल में डूब कर मरना। ८ जलणप्पवेस (ज्वलन प्रवेश) मरण-अग्नि में गिर कर मरना । ९ विसमक्खण (विष भक्षण) मरण-जहर आदि प्राण घातक पदार्थ खाकर मरना।
१० सत्थोवाडणे (शस्त्रावपाटन)-छुरी, तलवार आदि शस्त्र द्वारा होने वाला मरण। .. ११ विहाणस (वहानस) मरण-गले में फांसी लगाकर वृक्ष आदि की डाल पर लटकने से होने वाला मरण ।
१२ गिद्धपिठे (गृध्र पृष्ठ) मरण-हाथी, ऊँट या गधे आदि के मृतशरीर में प्रविष्ठ होने से गिद्ध आदि पक्षियों द्वारा या मांसलोलुप शृगाल आदि जंगली जानवरों द्वारा शरीर के विदारण (चीरने) से होने वाला मरण गृध्रस्पृष्ट या गृद्ध स्पृष्ट मरण कहलाता है । अथवा पीठ आदि शरीर के अवयवों का मांस गिद्ध आदि पक्षियों द्वारा खाया जाने पर होने वाला मरण 'गृध्रपृष्ठ मरण' कहलाता है। उपरोक्त दोनों व्याख्याएं क्रमशः तियंच और मनुष्य के मरण की अपेक्षा से है ।
उपरोक्त बारह प्रकार के बालमरणों में से किसी मरण से मरने वाले प्राणी का संसार बढ़ता है और वह बहुत काल तक संसार में परिभ्रमण करता है।
से किं तं पंडियमरणे ? पंडियमरणे दुविहे पण्णत्ते, तं जहाःपाओवगमणे य, भत्तपञ्चक्खाणे य । से किं तं पाओवगमणे ? पाओवगमणे दुविहे पण्णत्ते, तं जहाः नीहारिमे य, अनिहारिमे य नियमा अप्पडिकम्मे । सेत्तं पाओवगमणे।से किं तं भत्तपञ्चक्खाणे? भत्तपञ्चक्खाणे दुविहे पण्णत्ते, तं जहाः-नीहारिमे य, अनीहारिमे य नियमा सपडिकम्मे, सेत्तं भत्तपञ्चक्खाणे । इच्चेतेणं खदया ! दुविहेणं पंडियमरणेणं मरमाणे जीवे अणंतेहिं नेरइयभवग्गहणेहिं अप्पाणं विसंजोएड, जाव-चीईवयइ । सेतं मरमाणे हायइ । सेत्तं
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