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भगवती सूत्र-श. २ उ. १ आर्य स्कन्दक-गुणरल संवत्सर तर ४३५ । अर्थात्-जिस तप को करने में सोलह मास तक एक ही प्रकार की निर्जरा रूप गुणों की रचना-उत्पत्ति हो, वह तप गुणरयण संवच्छर'-गुणरचन संवत्सर कहलाता है। अथवा-जिस तप में गुण रूप रत्नों वाला सम्पूर्ण वर्ष बिताया जाय, वह तप 'गुणरत्न संवत्सर' तप कहलाता है । इस तप में सोलह महीने लगते हैं। जिसमें से ४०७ दिन तपस्या के और ७३ दिन पारणे के होते है । यथा
पग्णरस बीस चउम्धीस चेव चउब्बीस पण्णवीसा य। . चउब्बीस एक्कवीसा, चउवीसा सत्तवीसा य ॥१॥ तीसा तेत्तीसा वि य चउव्वीस छव्वीस अट्ठवीसा य । तीसा बत्तीसा वि य सोलसमासेसु तव दिवसा ॥२॥ पन्जरस बसद्ध छ पंच चउर पंचसु य तिणि तिणि ति। पंचसु दो य तहा सोलसमासेसु पारणगा ॥३॥
गणरत्न-संवत्सर तप तप दिन पारणा
सर्व दिन
: ३२ १६.१६२
|१५/१५/२ . . ३२ अर्थ-पहले मास २८१४१४२
.३० में पन्द्रह, दूसरे २८ मास में बीस, तीसरे २६ मास में चौबीस,
१. चौथे मास में १० १० १०३
३. चौबीस, पांचवें २५ १९९३ २८८३ .
२७ मास में पच्चीस,
छठे मास में
चौबीस, - सातवें ..... .२५/५/ ५/५/५/५ ..
मास में इक्कीस, - २४|४|४|४|४|४|४|६
३. आठवें मास में २४|३|३|३|३|३|३|३|३|८. २०/२ | २|२|२|२||शशशश... ३० चौबीस, नववें मास १५ (१RRIRIRRRRRRRRRRR ).१५ ३. में सत्ताईस, दसवें मास में तीस, ग्यारहवें मास में तेतीस, बारहवें मास में चौबीस, तेरहवें मास में छब्बीस,
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