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भगवती सूत्र-श. १ उ. ५ स्थिति-स्थान
जाते हैं । जघन्य स्थिति वालों में २७ भंग होते हैं, जो कि पहले बता दिये गये हैं।
फिर गौतम स्वामी ने पूछा कि-हे भगवन् ! एक समयाधिक जघन्य स्थिति वाले . वे नारकी जीव क्या क्रोधोपयुक्त होते हैं ? मानोपयुक्त होते हैं ? मायोपयुक्त होते हैं ? या लोभोपयुक्त होते हैं ?
इसके उत्तरं में भगवान् ने अस्सी भंग बतलाये हैं । वे इस प्रकार हैं - असंयोगी ८ भंग
१. क्रोधी एक, २. मानी एक, ३. मायी एक, ४. लोभी एक, · ५: क्रोधी बहुत, ६. मानी बहुत, ७. मायी बहुत, ८. लोभी बहुत ।
द्विक संयोगी २४ भंग
१. क्रोधी एक और मानी एक, २. क्रोधी एक और मानी बहुत, ३. क्रोधी बहुत और मानी एक, ४ क्रोधी बहुत और मानी बहुत, ५. क्रोधी एक और मायी एक, ६. क्रोधी एक और मायी बहुत, ७. क्रोधी बहुत और मायी एक, ८. क्रोधी बहुत और मायी बहुत, . ९ क्रोधी एक और लोभी एक, १० क्रोधी एक और लोभी बहुत ११ क्रोधी बहुत और लोभी एक, १२. क्रोधी बहुत और लोभी बहुत, १३. मानी एक और मायी एक, १४ मानी एक और मायी बहुत, १५. मानी.ब्रहुत और मायी एक, १६. मानी बहुत और मायी बहुत, १७. मानी एक और लोभी एक, १८. मानी एक और लोभी बहुत, १९. मानी बहुत और लोमी एक, २०. मानी बहुत और लोभी बहुत, २१. मायी एक और लोभी एक, २२. मायी एक और लोमो बहुत, २३. मायी बहुत और लोमो एक,२४. मायी बहुत और लोभी बहुत ।
त्रिक संयोगी ३२ मंग
१. क्रोधी एक, मानी एक, माया एक, २. क्रोधी एक, मानी एक, मायी बहुत, ३. क्रोधी एक, मानी बहुत, मायी एक, ४. क्रोधी एक, मानी बहुत, मायी बहुत, ५. क्रोधी बहुत, मानी एक, मायी एक, ६. क्रोधी बहुत, मानी एक, मायी बहुत, ७. क्रोधी बहुत, मानी बहुत, मायो एक, ८. क्रोधी बहुत, मानी बहुत, मायी बहुत, ९. क्रोधी एक, मानी एक, लोभी एक, १०. क्रोधी एक, मानी एक, लोभी बहुत, ११ क्रोधी एक, मानी बहुत, लोभी एक, १२. क्रोधी एक, मानी बहुत, लोभी बहुत, १३. क्रोधी बहुत, मानी एक, लोभी एक, १४ क्रोधी बहुत, मानी एक, लोभी बहुत, १५. क्रोधी बहुत, मानी बहुत, लोभी एक, १६. क्रोधी बहुत, मानी बहुत, लोभी बहुत, १७. क्रोधी एक, मायी एक, लोभी
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