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भगवती सूत्र-श. १ उ. ८ मृगघातकादि को लगने वाली क्रिया
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भावार्थ-२६८ प्रश्न-हे भगवन् ! मृगों से आजीविका चलाने वाला, मगों का शिकारी और मगों के शिकार में तल्लीन कोई पुरुष, मृगों को मारने के लिए कच्छ में यावत् वनविदुर्ग में जाकर 'ये मृग हैं' ऐसा सोचकर मृग को मारने के लिए. बाण फेंकता है, तो वह पुरुष कितनी क्रिया वाला होता है, अर्थात् उसे कितनी क्रिया लगती है ?
. २६८ उत्तर-हे गौतम ! वह पुरुष कदाचित तीन क्रिया वाला, कहाचित् चार क्रिया वाला और कदाचित् पाँच क्रिया वाला होता है।
२६९ प्रश्न--हे भगवन् ! इसका क्या कारण है ?
२६९ उत्तर-हे गौतम ! जबतक वह पुरुष बाण फेंकता है, परन्तु मग को बेधता नहीं तथा मृग को मारता नहीं हैं तबतक वह पुरुष तीन क्रिया वाला होता है । जब वह बाण फेंकता है और मृग को बेधता हैं परन्तु मृग को मारता नहीं हैं, तबतक वह चार क्रिया वाला होता हैं। जब वह बाण फेंकता है, मग को बेधता हैं, और मृग को मारता है, तब वह पुरुष. पांच क्रिया वाला होता हैं। इसलिए हे गौतम ! वह पुरुष कदाचित् तीन क्रिया वाला, कदाचित् चार क्रिया वाला और कदाचित् पांच क्रिया वाला होता है।
.. २७० प्रश्न-पुरिसे णं भंते ! कच्छंसि वा, जाव-अण्णयरस्स मियस्स वहाए आययकण्णाययं उसु आयामेत्ता चिटेजा, अण्णे य से (अन्नयरे) पुरिसे मग्गओ आगम्म सयपाणिणा, असिणा सीसं छिंदेजा, से य उसू ताए चेव पुवायामणयाए तं मियं विधेजा, से णं भंते ! पुरिसे किं मियवेरेणं पुढे ? पुरिसवेरेणं पुढे ? , २७० उत्तर-गोयमा ! जे मियं मारेइ, से मियवरेणं पुढे । जे पुरिसं मारेइ, से पुरिसवेरेणं पुढे ।
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