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३२० भगवती सूत्र - श. १ उ. ८ मृगघातकादि को लगने वाली क्रिया
वाला होता है । और जब वह तिनके इकट्ठे करता है, आग डालता है और जलाता है, तब वह पुरुष, कायिकी आदि पांच क्रिया वाला होता है । इसलिए हे गौतम ! वह कदाचित् तीन क्रियां वाला, कदाचित् चार क्रिया वाला और कदाचित् पाँच क्रिया वाला होता है ।
विवेचन —- इसी तरह तिनके घास फूस इकट्ठे करके उनमें आग डालने वाले पुरुष के सम्बन्ध में भी क्रिया का विचार किया गया है।
२६८ प्रश्न - पुरिसे णं भंते! कच्छंसि वा, जाव-वणविदुग्गं सि वा मियवित्तीए, मियसंकप्पे, मियपणिहाणे, मियवहाए गंता 'एए मिय' ति काउं अण्णयरस्स मियस्स वहाए उसुं णिसिरह, तओ गं भंते ! से पुरिसे कतिकिरिए ?
२६८ उत्तर - गोयमा ! सिय तिकिरिए, सिय चउकिरिए, सिय पंचकरिए |
२६९ प्रश्न - से केणट्टेणं ?
२६९ उत्तर - गोयमा ! जे भविए णिसिरणयाए, नो विद्वंसणया वि, नो मारणयाए वि तिहिं । जे भविए णिसिरणयाए वि विदधंसणयाए वि, णो मारणयाए चउहिं । जे भविए णिसिरणयाए वि, विदधंसणयाए वि, मारणयाए वि, तावं च णं से पुरिसे जावपंचहिं किरियाहिं पुट्टे । से तेणट्टेणं गोयमा ! सिय तिकिरिए, सिय चकिरिए, सिय पंचकरिए ।
विशेष शब्दों के अर्थ - अण्णयरस्स – किसी एक को, उसुं - बाण को ।
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