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भगवती सूत्र - श. १ उ. ९ अन्य मत और आयुष्य का बंध
पकरेइ, इहभवियाउयस्स पकरणयाए परभवियाज्यं पकरेइ, परभविया - उयस्स पकरणयाए इहभवियाउं पकरेह; एवं खलु एगे जीवे एगेणं समएणं दो आउयाई पकरेइ । तं जहा : - इहभवियाज्यं च, परभवियाज्यं च । से कहमेयं भंते ! एवं ?
२९५ उत्तर - गोयमा ! जं णं ते अण्णउत्थिया एवमाइक्खति, जाव - परभवियाउयं च । जे ते एवमाहंसु मिच्छा ते एवमाहिंसु । अहं पुण गोयमा ! एवं आइक्खामि, जाव - परूवेमि । एवं खलु एगे जीवे एगेणं समएणं एगं आउयं पकरेइ, तं जहा : - इह भवि याज्यं वा परभवियाज्यं वा जं समयं इहभवियाज्यं पकरेह, णो तं समयं परभवियाउयं पकरेह: जं समयं परभवियाउयस्स पकरेह: णो तं समयं इहभवियाज्यं पकरेह; इह भवियाउयस्स पकरणयाए णो परभवियाज्यं पकरेइ, परभवियाउयस्स पकरणयाए णो इहभवियाउयं पकरेs; एवं खलु एगे जीवे एगेणं समएणं एगं आउयं पकरेह । तं जहाः - इहभवियाउयं वा, परभवियाज्यं वा ।
सेवं भंते! सेवं भंते! त्ति भगवं गोयमे जाव - विहरह | विशेष शब्दों के अर्थ - आहंसु – कहा है, आइक्खामि — कहता हूँ ।
भावार्थ - २९५ प्रश्न - हे भगवन् ! अन्य तीर्थिक इस प्रकार कहते हैं, इस प्रकार विशेष रूप से कहते हैं, इस प्रकार जतलाते हैं और इस प्रकार प्ररूपणा करते हैं कि एक जीव, एक समय में दो आयुष्य करता है। वह इस प्रकार किइस भय का आयुष्य और परभव का आयुष्य । जिस समय इस भव का आयुष्य
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