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विवेचन - उस काल उस समय में अर्थात् जब भगवान् पार्श्वनाथ मोक्ष प्राप्त कर चुके थे और उनके २५० वर्ष बाद जब भगवान् महावीर का शासन चल रहा था, उस समय भगवान् पार्श्वनाथ के शिष्यानुशिष्य कालास्यवेषिपुत्र अनगार विचर रहे । उन्होंने भगवान् पार्श्वनार्थ के शासन में दीक्षा ली थी। उसी समय भगवान् महावीर के शासन के स्थविर भी विचर रहे 1
भगवती सूत्र - श. १ उ. ९ स्थविरों से कालास्यवेषि के प्रश्नोत्तर
होगई है ।
स्थविर के तीन भेद कहे गये हैं
१ जाति स्थविर ( वय स्थविर ) – जिनकी उम्र साठ वर्ष की हो गई है ।
२ श्रुतस्थविर - स्थानांग सूत्र और समवायांग सूत्र के ज्ञाता ।
३ प्रव्रज्या स्थविर (दीक्षा स्थविर - पर्याय स्थविर) जिनकी दीक्षा बीस वर्ष की
कालस्य वेषि पुत्र अनगार ने स्थविर भगवंतों से प्रश्न किये ।
२९७ प्रश्न - तए णं से कालासवेसियपुत्ते अणगारे ते थेरे भगवंते एवं वयासीः - जड़ णं अज्जो ! तुम्भे जाणह सामाइयं, जाणह सामाइयस्स अहं, जाव - जाणह विउस्सग्गस्स अहं । किं भे अज्जो ! सामाइए, किं भे अजो ! सामाइयस्स अट्ठे । जाव-किं भे विउस्सग्गस्स अट्ठे ?.
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२९७ उत्तर—तए णं ते थेरा भगवंतो कालासवेसियपुत्तं अणगारं एवं वयासीः- आया णे अजो ! सामाइए, आया णे अज्जो ! सामाइयस्सअट्ठे, जाव - विउस्सग्गस्स अट्टे ।
२९८ प्रश्न - तणं से कालासवेसियपुत्ते अणगारे थेरे भगवंते एवं वयासीः - जइ भे अज्जो ! आया सामाइए, आया सामाइयस्स अट्ठे, एवं जाव-आया विउस्सग्गस्स अट्ठे, अवहट्टु कोह- माण-माया
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