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भनवती सूत्र - श. १ उ. ६ आर्य रोह के प्रश्न
विषय में भी जानना चाहिए ।
२१८ प्रश्न - हे भगवन् ! क्या पहले अण्डा और पीछे मुर्गी है ? या पहले मुर्गी और पीछे अण्डा है ?
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२१८ उत्तर - हे रोह ! वह अण्डा कहाँ से आया ? हे भगवन् ! वह आया । हे रोह ! वह मुर्गी कहां से आई ? हे भगवन् ! मुर्गो अण्डे से
हुई ।
इसी प्रकार हे रोह ! मुर्गी और अण्डा पहले भी है और पीछे भी है । यो दोनों शाश्वत भाव हैं । हे रोह ! इन दोनों में पहले और पीछे का क्रम नहीं है ।
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२१९ प्रश्न - हे भगवन् ! क्या पहले लोकान्त है और पीछे अलोकान्त है ? या पहले अलोकान्त है और पीछे लोकान्त है ?
२१९ उत्तर - हे रोह ! लोकान्त और अलोकान्त, इन दोनों में यावत् कोई क्रम नहीं है ।
२२० प्रश्न - हे भगवन् ! क्या पहले लोकान्त हैं और पीछे सातवाँ अवकाशान्तर है ? या पहले सातवाँ अवकाशान्तर है और पीछे लोकान्त है ? २२० उत्तर - हे रोह ! लोकान्त और सातवाँ अवकाशान्तर, ये दोनों पहले भी हैं और पीछे भी हैं। इस प्रकार यावत् हे रोह ! इन दोनों में पहले पीछे का क्रम नहीं है । इसी प्रकार लोकान्त और सातवाँ तनुवात, इसी प्रकार घनवात घनोदधि और सातवीं पृथ्वी के लिए समझना चाहिए । इस प्रकार प्रत्येक के साथ लोकान्त को निम्न लिखित स्थानों के साथ जोड़ना चाहिएअवकाशान्तर, वात, घनोदधि, पृथ्वी, द्वीप, सागर, वर्ष (क्षेत्र) नारकी आदि जीव, चौवीस दण्डक, अस्तिकाय, समय, कर्म, लेश्या, दृष्टि, दर्शन, ज्ञान, संज्ञा, शरीर, योग, उपयोग, द्रव्य, प्रदेश, पर्याय और काल, क्या पहले हैं और लोकान्त पीछे है ?
२२१ प्रश्न - हे भगवन् ! क्या लोकान्त पहले और सर्वाद्धा ( सर्व काल ) पीछे है ?
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