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भगवती सूत्र-श. १ उ. ७ नारक जीवों के उदत्तनादि
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२३४ प्रश्न-हे भावन् ! नारकियों में से उद्वर्तता हुआ नारको जीव, क्या एक भाग से एक भाग को आश्रित करके आहार करता है ? इत्यादि पूर्ववत् प्रश्न करना चाहिए।
२३४ उत्तर-हे गौतम ! पहले की तरह जानना चाहिए, यावत् सर्व भागों से एक भाग को आश्रित करके आहार करता है, या सर्व भागों से सर्व भागों को आश्रित करके आहार करता है। इसी प्रकार यावत् वैमानिकों तक जानना चाहिए।
२३५ प्रश्न-हे भगवन् ! नारकियों में उत्पन्न हुआ नारको जीव, क्या. एक भाग से एक भाग को आधित करके उत्पन्न हुआ है ? इत्यादि पूर्ववत् प्रश्न करना चाहिए।
___ २३५ उत्तर-हे गौतम ! यह कथन भी उसी प्रकार जानना चाहिए यावत् सर्व भाग से सर्व भाग को आश्रित करके उत्पन्न हुआ है। जिस प्रकार उत्पद्यमान (उत्पन्न होता हुआ) और उद्वर्तमान (उद्वर्तता हुआ = निकलता हुआ) के विषय में चार दण्डक कहे, वैसे ही उत्पन्न और उवृत्त के विषय में भी चार दण्डक कहना चाहिए । 'सर्व भाग से सर्व भाग को आश्रित करके उत्पन्न' 'सर्व भाग से एक भाग को आश्रित करके आहार और सर्व भाग से सर्व भाग को आश्रित करके आहार'-इन शब्दों द्वारा उत्पन्न और उत्त के विषय में भी समझ लेना चाहिए।
२३६ प्रश्न-हे भगवन् ! नारकियों में उत्पन्न होता हुआ नारको जीव, क्या अर्द्ध भाग से अर्द्ध भाग को आश्रित करके उत्पन्न होता है ? या अर्द्ध भाग से सर्व भाग को आश्रित करके उत्पन्न होता है ? या सर्व भाग से अर्ड भाग को आश्रित करके उत्पन्न होता है ? या सर्व भाग से सर्व भाग को आश्रित करके उत्पन्न होता है ?
२३६ उत्तर-हे गौतम ! जैसे-पहले वालों के साथ आठ दण्डक कहे हैं, उसी प्रकार अर्ब के साथ भी आठ दण्डक कहना चाहिए । विशेषता इतनी है
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