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भगवती सूत्र-श. १ उ. ८ मृगघातकादि को लगने वाली क्रिया
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काइयाए, अहिगरणियाए, पाउसियाए, जाव-पाणाइवायकिरियाए -पंचहिँ किरियाहिं पुढे, से तेणटेणं जाव-पंचकिरिए ।
. विशेष शब्दों के अर्थ-कच्छंसि-कच्छ में नदी के पानी से घिरे हुए झाड़ियों वाले स्थान में, वहंसि-द्रह में, उदगंसि-जलाशय में, दवियंसि-पास के ढेर में, वलयंसि-वलय अर्थात् गोलाकार पानी आदि के स्थान में, मंसि-अन्धकार वाले स्थान में, गहणंसि-गहन स्थान में, गहण विदुग्गंसि-पर्वत के एक भागवर्ती वन में, पव्वयंसि-पर्वत में, पव्यय विदुगंसि-पर्वतों के समुदाय में, वर्णसि-वन में, वणविदुग्गंसि-अनेक जाति के वृक्षों के समुदाय में, मियवित्तीए-मृगों को मार कर आजीविका चलाने वाला, मियसंकप्पे-मृग मारने का संकल्प वाला, मियपणिहाणे-मृग को मारने में एकाग्र चित्त वाला, कूडपासं-कूटपाश, उद्दाइ-रचता है।
भावार्थ-२६४ प्रश्न-हे भगवन् ! मृगों से आजीविका चलाने वाला, मृगों का शिकारी, और मृगों के शिकार में तल्लीन कोई पुरुष, मृग को मारने के लिए कच्छ में, द्रह में, जलाशय में, घास आदि के समूह में, वलय में, (गोलाकार अर्थात् नदी आदि के पानी से आडे टेढ़े स्थान में) अन्धकार वाले प्रदेश में, गहन स्थान में (वृक्ष, बेल, आदि के समुदाय में)पर्वत के एक भागवर्ती वन में, पर्वत में, पर्वत वाले प्रदेश में वन में, और अनेक जाति के वृक्षों वाले वन में . जाकर 'ये मृग हैं, ऐसा सोच कर किसी मृग को मारने के लिए कूटपाश रचे अर्थात् गड्ढा बनावे या जाल फैलावे, तो हे भगवन् ! वह पुरुष कितनी क्रियाओं वाला कहा गया है ? अर्थात् उसे कितनी क्रिया लगती है ? ___ २६४ उत्तर-हे गौतम ! वह पुरुष, कच्छ में यावत् जाल फैलावे तो कदाचित् तीन क्रिया वाला, कदाचित चार क्रिया वाला और कदाचित् पांच क्रिया वाला होता है।
- २६५ प्रश्न-हे भगवन् ! ऐसा किस कारण से कहा जाता है कि वह पुरुष कदाचित् तीन क्रिया वाला, कदाचित् चार क्रिया वाला और कदाचित पांच क्रिया वाला होता है ?
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