________________
२९०
भगवती सूत्र - शः १-उ. ७ नारक जीवों के आहारादि
कि- जहाँ 'एक भाग से एक भाग को आश्रित करके उत्पन्न होता है' ऐसा पाठ आया है वहाँ पर 'अर्द्ध भाग से अर्द्ध भाग को आश्रित करके उत्पन्न होता है' ऐसा पाठ बोलना चाहिए । बस यही भिन्नता है। ये सब मिल कर सोलह दण्डक होते हैं। विवेचन - पहले की संग्रह गाथा में 'णेरइए' यह पद दिया था । इसलिए अब सातवें उद्देशक के प्रारम्भ में नारकी जीवों का वर्णन किया गया हैं ।
गौतम स्वामी पूछते हैं कि - हे भगवन् ! नारकी जीव, नरक में उत्पन्न होता है तब क्या यहाँ के एक देश ( एक भाग) से वहाँ का एक देश उत्पन्न होता है ? या यहां के एक देश से वहां का सर्व, अथवा यहां के सर्व से वहां का एक देश, या यहां के सर्व से वहां का सर्व, इस प्रकार उत्पन्न होता है ? गौतम स्वामी के इस प्रश्न का उत्तर भगवान् फरमाते है कि - हे गौतम! नरक में जीव देश से देश उत्पन्न नहीं होता, देश से सर्व उत्पन्न नहीं होता, सर्व से देश उत्पन्न नहीं होता, किन्तु सर्व से सर्व उत्पन्न होता है ।
यहाँ यह शंका उत्पन्न होती है कि इस प्रश्नोत्तर में 'रइए णेरइएसु उववज्जमाणे ' अर्थात् 'नैरयिक, नरक में उत्पन्न होता हैं ।' तो नैरयिक का नरक में उत्पन्न होना कैसे कहा गया है ? क्योंकि यह शास्त्र प्रसिद्ध बात है कि नैरयिक मर कर नरक में उत्पन्न नहीं होता । मनुष्य और तिर्यञ्च ही मर कर नरक में उत्पन्न हो सकते हैं । अर्थात् नरक में मनुष्यगति और तिर्यञ्च गति से मर कर ही उत्पन्न होता है, अन्य गति से नहीं । फिर इस प्रश्नोत्तर में यह कथन कैसे किया गया है ?
इस शंका का समाधान यह है कि 'चलमाणे चलिए' सिद्धांत के अनुसार जो जीव नरक में उत्पन्न होने वाला है, अभी नरक में पहुँचा नहीं है, किन्तु विग्रह गति में चल रहा है, उसे नैरयिक ही कहते हैं, क्योंकि वह जीव मनुष्य गति या तियंञ्च गति का आयुष्य समाप्त कर चुका है और उसके नरकायु का उदय हो चुका है। नरकायु का उदय होते ही उस जीव को नैरयिक कहा जा सकता है । यदि ऐसा न माना जाय, तो फिर उसे किस गति का जीव कहा जायगा ? मनुष्य या तिर्यञ्च की आयु तो समाप्त हो चुकी है, अतः मनुष्य या तिर्यञ्च तो कह नहीं सकते । और नरक में पहुँचा नहीं है, इस कारण यदि उसे नैरयिक भी न कहा जाय, तो फिर उसे किस गति का जीव कहा जाय ? वह नरक के मार्ग में है, उसके नरकायु का उदय हो चुका है, इसलिए नरक में उत्पन्न न होने पर भी उसे नरक का जीव ही कहना उचित है ।
नरक में उत्पन्न होने के विषय में चार विकल्प किये हैं- एक देश (भाग) से एक
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org