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भगवती सूत्र-श. १ उ. १ काल चलितादि सूत्र
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यहाँ पर शंका की जा सकती है कि जिस प्रकार अपवर्तन, संक्रमण, निधत्तन, निकाचन इन चार पदों के साथ तीनों काल जोड़े गये हैं, उसी प्रकार भेद, चय, उपचय आदि पहले के छह पदों के साथ तीनों काल क्यों नहीं जोड़े गये ? - इसका समाधान यह है कि यद्यपि यह शंका ठीक है. तथापि केवल विवक्षा (कहने. की इच्छा) न होने कारण सूत्र में भेदादि पदों के साथ तीनों काल का निर्देश नहीं किया गया है।
काल चलितादि सूत्र . ११ प्रश्न-णेरइया णं भंते ! जे पोग्गले तेयाकम्मत्ताए गेहंति, ते किं तीयकालसमए गेण्हंति ? पडुप्पण्णकालसमए गेहंति ? अणागयकालसमए गेण्डंति ? .. ११ उत्तर-गोयमा ! णो तीयकालसमए गेण्हंति, पडुप्पण्णकालसमए गेहंति, णो अणागयकालसमए गेहंति ?
१२ प्रश्न-णेरइया णं भंते ! जे पोग्गले तेयाकम्मत्ताए गहिए उदीत ते किं तीयकालसमयगहिए पोग्गले उदीरेंति ? पडुप्पग्णकालसमयघेप्पमाणे पोग्गले उदीरोंते ? गहणसमयपुरक्खडे पोग्गले उदीत ? . . १२ उत्तर-गोयमा ! तीयकालसमयगहिए पोग्गले उदीरेंति, णो पडुप्पण्णकालसमयघेप्पमाणे पोग्गले उदीति, णो गहणसमय'पुरक्खडे पोग्गले उदीरेंति । एवं वेदेति णिज्जति । .
१३ प्रश्न-णेरइया णं भंते !जीवाओ किं चलियं कम्मं बंधति?
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