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भगवती सूत्र-श. १ उ. १ आत्मारंभ परारंभ आदि का वर्णन
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भी नहीं है, जो परारंभा-परारम्भी भी नहीं हैं, जो तदुभयारंभा-तदुभयारम्भी भी नहीं हैं - किन्तु, अणारंभा-अनारम्भी हैं।
भंते-हे भगवन् ! केणठेणं-किस कारण से, एवं वुच्चइ-आप ऐसा फरमाते हैं कि अत्यंगइया-कितनेक, जीवा-जीव, आयारंभा वि-आत्मारम्भी भी हैं ? एवं पडिउच्चा रेयत्वं-इत्यादि पूर्वोक्त उत्तर फिर से उच्चारण करना चाहिए?
गोयमा-हे गौतम ! जीवा-जीव, दुविहा-दो प्रकार के, पण्णत्ता-कहे गये हैं, तंजहा -वे इस प्रकार हैं, संसारसमावण्णगा-संसार-समापन्नक, य-और, असंसारसमावण्णगाअसंसार-समापन्नक, तत्थ-उनमें से, जे-जो, असंसारसमावण्णगा-असंसार समापन्नक हैं। ते-वे, सिद्धा-सिद्ध हैं, सिद्धा-सिद्ध भगवान्, णो आयारंभा, णो परारंभा, णो तदुभयारंभा -आत्मारम्भी नहीं हैं, परारम्भी नहीं हैं, और तदुभयारम्भी नहीं हैं किन्तु, आयारंभा-अनारम्भी हैं, जे-जो. संसारसमावण्णगा-संसार-समापन्नक जीव हैं, ते-वे, दुविहा-दो प्रकार के, पण्णता-कहे गये हैं, तंजहा-वे इस प्रकार हैं-संजया-संयत, य-और, असंजया-असंयत, तस्य-उनमें से, जे-जो, संजया-संयत हैं, ते-वे, दुविहा-दो प्रकार के, पण्णत्ता-कहे गये हैं, तंजहा-वे इस प्रकार हैं-पमत्तसंजया-प्रमत्त संयत, य-और. अप्पमत्तसंजया-अप्रमत संयत, तत्य-उनमें से, जे-जो, अप्पमत्तसंजया-अप्रमत्त संयत हैं. ते-वे, णो आयारंभा णो परारंभा णो तदुभयारंभा-आत्मारम्भी नहीं हैं, परारम्भी नहीं हैं और तदुभयारम्भी नहीं हैं किन्तु, अणारंभा -अनारम्भी हैं । जे-जो, पमत्तसंजया -प्रमत्तसंयत हैं, ते-वे, सुहं जोगं-शुभ योग की, पडुच्च-अपेक्षा. णो आयारंभा, णो परारंभा, णो तदुभयारंभा-आत्मारम्भी नहीं हैं, परारम्भी नहीं हैं और तदुभयारम्भी नहीं हैं. किंतु अणारंभा-अनारम्भी हैं । असुहं जोगंअशुभ योग की, पडुच्च-अपेक्षा, आयारंभा वि, परारंभा वि, तदुभयारंभा वि-आत्मारम्भी भी हैं, परारम्भी हैं और तदुभयारम्भी भी है, किन्तु णो अणारंभा-अनारम्भी नहीं हैं। जे-जो, असंजया असंयत हैं, ते-वे, अविरइं पडुच्च-अविरति की अपेक्षा, आयारंभा वि, परारंभा वि, तदुभयारंभा वि-आत्मारम्भी भी हैं, परारम्भी भी हैं और तदुभयारम्भी भी हैं किन्तु, णो अणारंभा-अनारम्भी नहीं हैं । तेणठेणं-इस कारण, गोयमा-हे गौतम ! एवं वुच्चइ-ऐसा कहा जाता है, कि अत्यंगइया जीवा जाव अणारंभा-कितनेक जीव आत्मारम्भी भी है यावत् अनारम्भी भी हैं।
भावार्थ-४७ प्रश्न-हे भगवन् ! क्या जीव आत्मारम्भी हैं, परारम्भी हैं, तदुभयारम्भी हैं या अनारम्भी हैं ?
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