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भगवती सूत्र - श. १ उ. २ संसार संस्थानकाल
९८ उत्तर - हे गौतम ! छह लेश्याएँ कही गई हैं। वे इस प्रकार हैंकृष्ण, नील, कापोत, तेजो, पद्म और शुक्ल । यहां पन्नवणा सूत्र के लेश्या पद का दूसरा उद्देशक कहना चाहिए। वह ऋद्धि की वक्तव्यता तक कहना चाहिए । विवेचन - गौतम स्वामी के प्रश्न के उत्तर में भगवान् ने फरमाया कि - हे गौतम ! - लेश्याएँ छह है। पन्नवणा सूत्र के सतरहवें पद के दूसरे उद्देशक में लेश्या का जो वर्णन किया गया है वह सब यहाँ समझ लेना चाहिए। वहाँ इस प्रकार वर्णन है—
प्रश्न - हे भगवन् ! लेश्याएँ कितनी हैं ?
उत्तर - हे गौतम! लेश्याएँ छह हैं । यथा - कृष्ण लेश्या, नील लेश्या, कापोत लेश्या, तेजोलेश्या, पद्म लेश्या और शुक्ल लेश्या ।
प्रश्न - हे भगवन् ! नैरयिकों के कितनी लेश्याएँ होती हैं ?
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उत्तर - हे गौतम! तीन होती हैं। यथा-कृष्ण लेश्या, नील लेश्या, कापोत लेश्या ।
तिर्यञ्च योनि, के जीवों के छहों लेश्याएँ होती हैं । एकेन्द्रियों में चार लेश्याएँ पाई जाती हैं । पृथ्वीकाय, अप्काय और वनस्पतिकाय में चार लेश्याएँ, तेउकाय, वायुकाय, बेइन्द्रिथ, तेइन्द्रिय, चौइन्द्रिय जीवों में तीन लेश्याएँ होती हैं । तिर्यञ्च पञ्चेन्द्रिय और मनुष्य में छहों लेश्याएँ होती हैं । भवनपति, वाणव्यन्तर देवों में चार लेश्याएँ, ज्योतिषी देवों में एक तेजोलेश्या होती है । पहले दूसरे देवलोक में एक तेजो लेश्या, तीसरे, चौथे, पाँचवें देवलोक में एक पद्म लेश्या तथा आगे के देवलोकों में एक शुक्ल लेश्या होती है । फिर गौतम स्वामी ने प्रश्न किया कि हे भगवन् ! कृष्ण लेश्या से 'शुक्ल लेश्या तक के जीवों में से कौन कम ऋद्धि वाला है और कौन किससे अधिक ऋद्धि वाला है ? इसके उत्तर में भगवान् ने फरमाया कि कृष्ण लेश्या वाले से नील लेश्या वाला महाऋद्धि वाला हैं । इस प्रकार सबसे अधिक ऋद्धि वाले गुक्ल लेश्या वाले हैं और सब से कम ऋद्धि वाले कृष्ण लेश्या वाले हैं ।
इत्यादि ऋद्धिपर्यन्त सारा वर्णन जान लेना चाहिए ।
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संसार संस्थान काल
९९ प्रश्न - जीवस्स णं भंते ! तीतद्धाए आदिट्ठस्स कहविहे संसारसंचिट्टणकाले पण्णत्ते ?
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