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भगवती सूत्र-श. १ उ. २ असुरकुमारादि में आहारादि
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असुरकुमार का शरीर सात हाथ का है और किसी का छह हाथ का । सात हाथ वाले की अपेक्षा छह हाथ वाले का आहार कम है, परन्तु पाँच हाथ वाले की अपेक्षा छह हाथ वाले का अधिक है । इस प्रकार कम अधिक होना अपेक्षाकृत है । यहाँ पर पांच हाथ आदि की अवगाहना उत्पत्ति के अन्तर्मुहूर्त में ही समझना चाहिए । पूर्ण अवगाहना होने पर सभी की अवगाहना सात हाथ की हो जाती है।
शङ्का-असुरकुमारों का आहार चतुर्थभक्त (एक दिन के अन्तर से होने वाला) और श्वासोच्छ्वास सात स्तोक में लेना कहा है। फिर यहां बारबार आहार और बारबार श्वासोच्छ्वास क्यों कहा है ?
समाधान-'बारबार आहार' यह कथन भी अपेक्षाकृत समझना चाहिए। जैसे एक असुरकुमार चतुर्थभक्त अर्थात् एक दिन के अन्तर से आहार करता है और दूसरा असुरकुमार देव सातिरेक (साधिक)एक हजार वर्ष में एक बार आहार करता है । सातिरेक एक हजार वर्ष में एक बार आहार करने वाले की अपेक्षा एक दिन के अन्तर से आहार करने वाला 'बारबार आहार करता है' ऐसा कहा जाता है और जो पाँच दिन के अन्तर से आहार करता है वह उसकी अपेक्षा 'कदाचित् आहार करता है' ऐसा कहा जाता है । लोक में भी ऐसा ही व्यवहार होता है । यही बात श्वासोच्छ्वास के सम्बन्ध में भी समझनी चाहिए। कोई असुरकुमार सात स्तोक में एक बार श्वासोच्छ्वास लेता है और कोई असुरकुमार सातिरेक एक पक्ष में श्वासोच्छ्वास लेता है, तो इसकी अपेक्षा सात स्तोक में श्वासोच्छ्वास लेने वाला 'बारबार श्वासोच्छ्वास लेता हैं'-ऐसा कहा जाता है।
. अथवा-अल्पशरीरी का अल्पाहार और अल्प श्वासोच्छ्वास तथा कदाचित् आहार और कदाचित् श्वासोच्छ्वास अंतराल की अपेक्षा से कहा गया है । अल्पशरीर वालों के आहार और श्वासोच्छ्वास में अन्तराल बहुत पड़ जाता है । इस अपेक्षा से यह कथन किया गया है। __अन्तराल का अर्थ है -बीच या अन्तर । एक आहार से दूसरे आहार के बीच के समय का अन्तर या व्यवधान कहलाता है।
यद्यपि महाशरीर वाले के आहार में भी अन्तराल है-एक दिन का अन्तर पड़ता है, परन्तु वह अन्तर अन्य देवों की अपेक्षा अत्यल्प है, इसलिए नगण्य है । नगण्य होने के कारण ही अल्पशरीरी की अपेक्षा महाशरीरी का आहार 'अभीक्ष्णं-बारम्बार आहार' कहा गया है । यह बात आगम से भी सिद्ध है कि-महाशरीर वाले का आहार बारबार होता है और अल्पशरीर वाले का आहार-अन्तराल बड़ा होने से बारबार नहीं होता । यथा-प्रथम देवलोक के देव का शरीर सात हाथ का है । उनका आहार दो हजार वर्ष के अन्तर से और .
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