________________ सिद्ध-सारस्वत विश्वविद्यालये ख्यातः सुदर्शनः सुदर्शनः / / 8 / / छात्रप्रणयवृत्तित्वाद् बहुधा क्लेशमाश्रितः / प्राशासकैः पदैर्युक्तः स्यादथवा पदं विना।।9।। दीर्घायुषां भवेदेष युक्तः स्वस्थश्च संयमात् / संस्कृतजीवनश्चासौ संस्कृतसेवयान्वितः / / 10 / / प्रो. गोपबन्धुमिश्रः पूर्वसंस्कृत विभागाध्यक्षः, काशी-हिन्दू-विश्वविद्यालयः कुलपतिः, श्रीसोमनाथसंस्कृतविश्वविद्यालयः, गुजरातप्रदेश: शुभकामना संदेश अत्यन्त हर्ष का विषय है कि विद्वद्वरेण्य प्रो. सुदर्शन लाल जैन के अभिनन्दन ग्रन्थ का प्रकाशन हो रहा है। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग के प्रोफेसर एवम् अध्यक्ष तथा भूतपूर्व निदेशक, पार्श्वनाथ विद्यापीठ, वाराणसी डॉ0 सुदर्शन लाल जैन बहुत ही सरल स्वभावी एवं विनयशील मनीषी हैं। इन्होंने संस्कृत विभाग तथा कला सङ्काय के समुन्नयन में सराहनीय कार्य किए हैं। आप छात्रों के हित में सदैव तत्पर रहते हैं। आप संस्कृत-हिन्दी भाषाओं के साथ-साथ प्राकृत एवं पालि भाषाओं के भी निष्णात विद्वान् हैं। जैन दर्शन तथा भारतीय दर्शन के साथ साहित्य और भाषाविज्ञान के भी मनीषी हैं। कई शोध-लेख तथा ग्रन्थ लिखे हैं। जिससे इन्हें महामहिम राष्ट्रपति द्वारा भी सम्मानित किया गया है। वास्तव में आप सिद्ध-सारस्वत हैं। हम आपके उज्ज्वल भविष्य के साथ स्वस्थ निरोगी रहने की कामना करते हैं। यह भी प्रभु से प्रार्थना है कि आप जीवन के अंतिम समय तक सरस्वती की उपासना करते रहें। ___ 'पद्मश्री' प्रो. रामशंकर त्रिपाठी पूर्व श्रमणविद्यासङ्कायाध्यक्ष, सं.सं.विश्वविद्यालय, वाराणसी भावि पीढ़ी के लिए तर्जनीवत्' विद्वद्वरेण्य प्रो. सुदर्शन लाल जैन जी पर केन्द्रित अभिनन्दन ग्रन्थ का प्रकाशन विद्वद् समाज में मार्ग-दर्शन का कार्य करेगा। उनके व्यक्तित्व और कृतित्व पर जितनी सामग्री उसमें प्रकाशित होगी वह अगली पीढ़ी के लिए तर्जनीवत् प्रमुख अंगुली साबित होगी। अध्यापकीय जीवन में यही मुख्य है कि हम नई पीढ़ी को क्या दे पा रहे हैं। हम अपने समाज को क्या दे पा रहे हैं। प्रो. सुदर्शन लाल जैन जी ने अपनी प्रकाण्ड विद्वत्ता के माध्यम से यह अनायास ही कर दिखाया है। उनके शतायु होने की कामना है। प्रो. ए. अरविंदासन भूतपूर्व कुलपति,महात्मा गांधी अन्ताराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा