________________ सिद्ध-सारस्वत ज्ञान ज्योति दिनकर का अभिनंदन शतवार है। श्री सुदर्शनलाल जैन सा बना हृदय का हार है। ऐसे ज्ञान ज्योति दिनकर का अभिनंदन शतवार है। जिसने अपने सद्विवेक से जन जन को आलोक दिया। जिसने अपने पुण्य प्रयासों से मानव को योग दिया।। जिसने क्षमता समता से मानव मन को आल्हाद दिया। जिसने अक्षय ज्ञानपुंज से नवयुग को निर्माण दिया।। जो धरती पर बन आया माँ सरस्वती का प्यार है। ऐसे ज्ञान ज्योति दिनकर का अभिनंदन शतवार है।। जिसने अपने पौरुष से अपना इतिहास बनाया है। जिसने अपने कर्तव्यों से सत् साहित्य रचाया है।। जिसने अपनी सद् वाणी से नर को पथ दर्शाया है। जिसने अपनी कृत करणी से पावन गुरुपद पाया है।। इस युग के बुधजन गण का बना एक आधार है। ऐसे ज्ञान ज्योति दिनकर का अभिनंदन शतवार है।। जिसकी पावन पुण्य लेखनी से आलोकित लोक हैं। जिसकी ज्ञानमयी प्रतिमा को जन जन देता घोक है।। जिसने अपने बुधविवेक से मिटा दिया सब शोक है। जिसके आगे आने वाले युग को दिया आलोक है।। जो जन जन के लिए बना अब अलख ज्ञान का द्वार है। ऐसे ज्ञान ज्योति दिनकर का अभिनंदन शतवार है।। जिसकी पावन सद् शिक्षा से धर्म जगा इन्सान में। नर से नारायण बन कर विचरा सम्यक् ज्ञान में।। माँ सरस्वती की पावन वाणी का जिसमें सम्मान है। अगणित जन जिसकी शिक्षा से शिक्षित हुए महान् हैं। इस गौरव जन के अभिनंदन का गूंथा यह हार है। ऐसे ज्ञान ज्योति दिनकर का अभिनंदन शतवार है। डॉ. अरिहंत शरण जैन एम.बी.बी.एस.एम.डी., बिलासपुर विद्याव्यसनी श्री सुदर्शन लाल जी प्रोफेसर डॉ. सुदर्शनलाल जी भारत के नामांकित विद्वानों की गणना में अपना गौरवशाली स्थान रखते हैं। एक सामान्य परिवार में जन्म लेकर भारतीय जैन समाज के लिए साहित्य सृजन की जो सेवाएँ एक प्रतिभाशाली जैन शासन के पुत्र के रूप में दी हैं वे सदैव श्रमण साहित्य में स्मराय रहेंगी। एक प्रोफेसर का जीवन उस गुलाब के पुष्प की भाँति होता है जो स्वयं कांटों में रहकर सबको सौरभ प्रदान करता है। उसी प्रकार एक प्रोफेसर अपनी वाणी एवं कल्याणी लेखनी द्वारा सभी को लाभान्वित करता है। जैन दर्शन साहित्य और शैक्षणिक सेवा के क्षेत्र में आपने अजोड़ जीवन प्राप्त किया है। इस प्रकार के साधु-स्वाभाव और जैन समाज के गौरवशाली पुत्र का सम्मान करना यह सभी प्रज्ञजनों का परम कर्त्तव्य है। इनका सम्मान तो भारतीय संस्कृति का सम्मान है। आशा है, इस अभिनंदन ग्रन्थ से समाज की युवा पीढ़ी प्रेरणा लेकर भावीजीवन को सफल बनायेगी। भगवान् जिनेन्द्र देव आपको स्वस्थ्य सुखी एवं दीर्घायु बनावें। श्रीमती गजरादेवी जैन सोरया पूर्व प्रकाशक, वीतरागवाणी मासिक, टीकमगढ़ 108